---Advertisement---

अल्मोड़ा जिला अस्पताल में ईएनटी सर्जरी ठप, मरीजों की परेशानी का जिम्मेदार कौन?

By: Sansar Live Team

On: Thursday, March 20, 2025 1:35 PM

Google News
Follow Us
---Advertisement---

अल्मोड़ा : अल्मोड़ा जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहद चिंताजनक है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में मेडिकल सुविधाओं की कमी पहले से ही एक बड़ी चुनौती रही है, और अब पंडित हर गोविंद पंत जिला चिकित्सालय, जो एक प्रतिष्ठित सरकारी मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है, वहां भी हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।

नाक, कान और गले यानी ईएनटी सर्जरी के लिए योग्य डॉक्टर और आधुनिक मशीनें मौजूद हैं, लेकिन पिछले 16 महीनों से एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ। इसका सबसे ज्यादा नुकसान गरीब मरीजों को हो रहा है, जो मजबूरी में हल्द्वानी, देहरादून जैसे शहरों में जाकर महंगा इलाज कराने को मजबूर हैं।

अस्पताल में चार महीने से दो विशेषज्ञ डॉक्टर तैनात हैं। डॉ. एच.सी. गड़कोटी ओपीडी और प्रशासनिक काम संभाल रहे हैं, जबकि डॉ. सोनाली जोशी, जो एंडोस्कोपिक सर्जरी में निपुण हैं, चार महीने पहले नियुक्त हुईं। फिर भी, अस्पताल प्रशासन की सुस्ती और लापरवाही के चलते ऑपरेशन शुरू नहीं हो सके।

आखिरी ईएनटी सर्जरी 31 अक्टूबर 2023 को हुई थी, और तब से लेकर आज तक कोई प्रगति नहीं दिखी। सवाल उठता है कि जब डॉक्टर, उपकरण और संसाधन सब उपलब्ध हैं, तो मरीजों को राहत क्यों नहीं मिल रही? क्या प्रशासन की उदासीनता मरीजों को निजी अस्पतालों की ओर धकेलने की साजिश है?

नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही ने भी मरीजों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। समय पर दवाइयां नहीं मिलतीं, गंभीर मरीजों की अनदेखी होती है, और परिजनों को सम्मानजनक जवाब तक नहीं दिया जाता। दूसरी ओर, सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे अस्पताल की सेवाओं को बेहतर करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।

उनके संघर्ष से एमआरआई, सिटी स्कैन और ऑडियोमेट्री जैसी सुविधाएं बहाल हुईं, और अब वे लेप्रोस्कोपिक सर्जरी मशीन लाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन जब तक ईएनटी सर्जरी शुरू नहीं होती, मरीजों की परेशानी कम नहीं होगी।

अस्पताल में संक्रमण रोकने वाली सेनेटाइजर मशीनें भी बंद पड़ी हैं। हर दिन सैकड़ों मरीज यहां आते हैं, लेकिन बुनियादी साफ-सफाई और सुरक्षा के इंतजाम नदारद हैं। संजय पाण्डे ने इस लापरवाही के खिलाफ मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत दर्ज की है, जिसका नंबर CMHL-032025-8-713954 है। उनका कहना है कि जब सभी सुविधाएं मौजूद हैं, तो मरीजों को बाहर क्यों भटकना पड़े? यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के स्वास्थ्य के प्रति गैर-जिम्मेदारी है।

अस्पताल में बेडशीट कलर कोडिंग नियमों का भी पालन नहीं हो रहा, जो साफ-सफाई के लिए लागू किए गए थे। सोमवार को सफेद, मंगलवार को गुलाबी, बुधवार को हरा जैसे नियम सिर्फ कागजों पर हैं। आखिर प्रशासन कब सुधरेगा? क्या सरकार की स्वास्थ्य सुधार की बातें सिर्फ दिखावा हैं? अब सबकी नजर मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की शिकायत और प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment