ठाकुरद्वारा-मुरादाबाद मार्ग खस्ताहाल, किसी को नहीं ज़रा भी ख्याल

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ठाकुरद्वारा-मुरादाबाद मार्ग खस्ताहाल, किसी को नहीं ज़रा भी ख्याल

ठाकुरद्वारा-मुरादाबाद मार्ग खस्ताहाल, किसी को नहीं ज़रा भी ख्याल

ठाकुरद्वारा-मुरादाबाद मार्ग खस्ताहाल, किसी को नहीं ज़रा भी ख्याल


यामीन विकट
मुरादाबाद/ठाकुरद्वारा।
पिछले कुछ दिनों से ठाकुरद्वारा मुरादाबाद मार्ग की दयनीय स्थिति को लेकर सोशल मीडिया पर एक बवाल मचा हुआ है लोग तरह तरह को पोस्ट डाल रहे हैं और फिर इन पर तरह तरह के कॉमेंट्स किये जा रहे हैं खस्ताहाल मार्ग को लेकर हो रही इन चर्चाओं का स्थानीय नेताओं पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है और हाल ही में हुई वर्षा के बाद अब इस मार्ग की हालत बद से बदतर हो गई है। 

ठाकुरद्वारा-मुरादाबाद मार्ग खस्ताहाल, किसी को नहीं ज़रा भी ख्याल

क्षेत्रीय नेताओं की बात करें तो क्षेत्र के नेताओं को लखनऊ जाकर बड़े नेताओं के साथ फोटो शूट करने का शौक चढ़ा हुआ है और वंही से फोटो वायरल कर उनपर लिख दिया जाता है कि आज फला नेताजी के साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ बस उनका इतने से ही बेड़ा पार हो जाता है और यहां वापस आकर वो प्रशासनिक अधिकारियों के बीच ये साबित कर देते हैं कि भई हमारे तो साहब बिल्कुल घर जैसे सम्बन्ध हैं और इसी तरह वो अपने छोटे मोटे काम करा लेते हैं जबकि असली मुद्दों पर उनका कोई ध्यान नहीं है। 

ठाकुरद्वारा मुरादाबाद मार्ग की बात करें तो प्रदेश को उत्तराखंड से जोड़ने वाला ये मार्ग राष्ट्रीय राज मार्ग सँख्या 734 है जिसकी पिछले काफी दिनों से हालत खराब है इसी मार्ग पर हुए गहरे गड्ढो के चलते अब तक कितने ही लोग मौत के मुंह में जा चुके हैं और न जाने कितने सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होकर घायल हो चुके हैं इनकी गिनती करना भी अब आसान नहीं है।

स्थानीय अधिकारियों ने (जिनका मुरादाबाद आना जाना लगा रहता है) इसी मार्ग की हालत के चलते अपना रास्ता बदल दिया है और अब वह ठाकुरद्वारा से वाया डिलारी होते हुए मुरादाबाद जाते हैं। वो ऐसा कर सकते हैं क्योंकि उन सभी को सरकारी वाहन मिले हुए हैं लेकिन उनका क्या होगा जिन व्यक्तियों को बस में सफर करना है या बाइक से इसी मार्ग के किसी गांव में जाना है।

बताते चलें कि इसी ठाकुरद्वारा मुरादाबाद मार्ग से होकर ही देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड को प्रतिदिन हजारों लोग और पर्यटकों का भी आना जाना लगा हुआ है लेकिन इस सबके बावजूद भी कोई सम्बंधित अधिकारी या सत्ताधारी नेताओं के द्वारा इस बेहद खस्ताहाल मार्ग की कोई सुध लेने को तैयार नहीं है।

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