Ramadan 2024: रमज़ान में इस तरह दी जाती है जकात, जानिए अपने सवालों के जवाब

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Ramadan 2024: रमज़ान में इस तरह दी जाती है जकात, जानिए अपने सवालों के जवाब

Ramadan 2024: रमज़ान में इस तरह दी जाती है जकात, जानिए अपने सवालों के जवाब

Ramadan 2024: रमज़ान में इस तरह दी जाती है जकात, जानिए अपने सवालों के जवाब


दानिश उमरी
आगरा।
मज़हब ऐ इस्लाम महीनों में रमज़ान मुबारक सबसे रहमतों और बरकतों वाला महीना है। इस माहे रमज़ान में ख़ुदा अपने बन्दों पर रहमतों की बारिश करता है। साथ ही अपने गुनाहों की माफी के दरवाज़े भी खोल देता हैं।  इस महीने इंसान को ज़कात सदक़ा मिस्कीनों को देनी चाहिए।

इसी ज़कात के बारे में और जानकारी देते हुए शाइस्ता एजुकेशन चेरिटेबल सोसायटी के अध्यक्ष मुहम्मद अकील अहमद क़ादरी सलामी ने बताया कि कमाई में गरीबों और मिस्कीन (फकीर से थोड़ा अमीर) का हक जकात है। 

जकात का मतलब है जरूरतमंदों की अपनी कमाई में से मदद करना। रमजान में जकात का खासा महत्व है। मुसलमान अपनी कमाई का एक हिस्सा जकात के लिए निकालते हैं। शाइस्ता एजुकेशन चैरिटेबिल सोसाइटी के अध्यक्ष और मुस्लिम मामलों के विद्वान मोहम्मद अक़ील अहमद खान कादरी सलीमी ने  जकात के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। वे कहते हैं- इस्लाम का अहम हुक्म जकात के बारे में है।

रमजान में ही अदा की जाती है जकात (Zakat is paid in Ramadan)

उन्होंने बताया- जकात उस पर फर्ज है, जिसके पास साढ़े सात तोला सोना हो या साढे 52 तोला चांदी हो या दोनों के राशि के बराबर नकद रकम हो और एक साल तक वह रकम रहे। इस रकम का ढाई फीसदी के हिसाब से जकात देना जरूरी है। इस्लाम के अहम खंभों में से एक खंभा जकात है। ये फर्जियत में से है। जकात के ताल्लुक से बहुत ही ध्यान और अहतियात से सारे काम करने चाहिए, जिसका कि कुराने करीम में जिक्र किया गया है।।  

इन्हें दे सकते हैं जकात (Zakat can be given to them)

कुरान में जकात के बारे में 22 जगह अलग-अलग सूरतों में जिक्र किया गया है। जकात मुफ्तलिस लोगों को दी जा सकती है। जैसे कोई गरीब है या मोहताज है। जकात मदरसों में दी जा सकती है। उन लोगों को दी जा सकती है जो जकात वसूल करने जाते हैं। जो लोग कर्ज में गिरफ्तार हैं और उनके पास अदा करने की कोई सूरत नहीं है, तो उनके कर्ज की अदायगी भी की जा सकती है। मुसाफिर को जरूरत है, तो उसे भी जकात दी सकती है।

शरीयत कहती है कि अल्लाह के लिए माल के एक हिस्से का मुसलमान फकीर (जरूरतमंद) को मालिक बना देना जकात है। जिस व्यक्ति की आमदनी कुल खर्च से आधी से भी कम है, उसे जकात दी जा सकती है। अगर आदमनी कुल खर्च से आधी से ज्यादा है, तो वह भी जकात पाने का अधिकारी है। किसी बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाना भी जकात के दायरे में आता है।

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