भाजपा जब से सत्ता में आई तब से लोगों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा
भाजपा जब से सत्ता में आई तब से लोगों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा
लखनऊ | समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा जब से सत्ता में आई है तब से लोगों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। समाज का हर वर्ग परेशान है। किसान और गरीब सभी महंगाई की मार झेल रहे हैं।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने शुक्रवार को अपने जारी बयान में कहा कि भाजपा की केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकारें जनता को सिर्फ झूठे आश्वासन दे रही हैं। जनता अब समझ चुकी है और वह भाजपा के बहकावे में आने वाली नहीं है। परेशान जनता अब बस चंद महीनों के बाद ही होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करने का इंतजाम कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही चुनाव समाप्त हुए खाद्य सामग्री लोगों की पहुंच से बाहर होने लगी है। अरहर की दाल 30 रुपए महंगी हो गई। बेसन, चीनी, रसोई गैस के भी दाम बढ़ गए। किसान को फसल की लागत भी नहीं मिल रही है जबकि खाद, बीज, कीटनाशक आदि के दाम बढ़ रहे हैं। अब लोग क्या करें? कैसे अपनी जिंदगी चलाएं?
अखिलेश यादव ने कहा कि किसान की तो बहुत ही दुर्दशा है। खेती-किसानी अब मुनाफे का धंधा नहीं रह गयी है। किसाने हमेशा घाटे में रहते हैं। भाजपा सरकार एमएसपी का बहाना क्यों करती है? जबकि किसानों को उसकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कभी नहीं मिला है। गेहूं, धान के क्रय केंद्रों पर किसान की फसल की खरीद में तमाम अड़चने लगाई जाती हैं। घटतौली, समय से भुगतान न होने की शिकायतें आम हैं।
क्रय केंद्रों की अव्यवस्था के चलते निराश किसान अपनी फसल को बिचौलियों के हाथ औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाता है। भाजपा सरकार द्वारा इस बार लक्ष्य से भी कम गेहूं की खरीद की गई है। किसान को अनावृष्टि, ओले से क्षति की मार भी झेलनी पड़ती है। खेत, खलिहानों में अग्निकांड की भी घटनाएं होती हैं। किसान की इस तबाही में राहत के नाम पर भाजपा सरकार सिर्फ फरेब करती है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने शुक्रवार को अपने जारी बयान में कहा कि भाजपा की केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकारें जनता को सिर्फ झूठे आश्वासन दे रही हैं। जनता अब समझ चुकी है और वह भाजपा के बहकावे में आने वाली नहीं है। परेशान जनता अब बस चंद महीनों के बाद ही होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर करने का इंतजाम कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि जैसे ही चुनाव समाप्त हुए खाद्य सामग्री लोगों की पहुंच से बाहर होने लगी है। अरहर की दाल 30 रुपए महंगी हो गई। बेसन, चीनी, रसोई गैस के भी दाम बढ़ गए। किसान को फसल की लागत भी नहीं मिल रही है जबकि खाद, बीज, कीटनाशक आदि के दाम बढ़ रहे हैं। अब लोग क्या करें? कैसे अपनी जिंदगी चलाएं?
अखिलेश यादव ने कहा कि किसान की तो बहुत ही दुर्दशा है। खेती-किसानी अब मुनाफे का धंधा नहीं रह गयी है। किसाने हमेशा घाटे में रहते हैं। भाजपा सरकार एमएसपी का बहाना क्यों करती है? जबकि किसानों को उसकी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कभी नहीं मिला है। गेहूं, धान के क्रय केंद्रों पर किसान की फसल की खरीद में तमाम अड़चने लगाई जाती हैं। घटतौली, समय से भुगतान न होने की शिकायतें आम हैं।
क्रय केंद्रों की अव्यवस्था के चलते निराश किसान अपनी फसल को बिचौलियों के हाथ औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो जाता है। भाजपा सरकार द्वारा इस बार लक्ष्य से भी कम गेहूं की खरीद की गई है। किसान को अनावृष्टि, ओले से क्षति की मार भी झेलनी पड़ती है। खेत, खलिहानों में अग्निकांड की भी घटनाएं होती हैं। किसान की इस तबाही में राहत के नाम पर भाजपा सरकार सिर्फ फरेब करती है।