धर्म, संस्कृति व राष्ट्र रक्षा के प्रति आग्रही बनाती है सिख गुरुओं की परंपरा : योगी
धर्म, संस्कृति व राष्ट्र रक्षा के प्रति आग्रही बनाती है सिख गुरुओं की परंपरा : योगी
गोरखपुर | मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सिख गुरुओं की महान परंपरा हम सबके लिए प्रेरणादायी है। यह परंपरा हमें धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीयता की रक्षा के प्रति आग्रही बनाती है। इस परंपरा का अनुसरण कर हम देश और समाज को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकते हैं। सीएम योगी सोमवार को जटाशंकर गुरुद्वारा में आयोजित नवम सिख गुरु तेग बहादुर के 347वें शहीदी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
गुरु ग्रन्थ साहिब को नमन करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु तेग बहादुर के त्याग और बलिदान से आज अपना देश विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। आज गुरु तेज बहादुर का 347वां पावन शहीद दिवस है। आज ही के दिन 347 वर्ष पहले भारत को आक्रांताओं के क्रूर हाथों से मुक्त कराने के लिये उन्होंने अपने आप को बलिदान किया था। सीएम योगी ने कहा कि ने कहा कि आज देश अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। पर, हमें याद रखना होगा कि देश की आजादी का अमृत महोत्सव महापुरुषों के त्याग और बलिदान की नींव पर प्राप्त हुआ है। आजादी का अमृत महोत्सव गुरु तेग बहादुर जी महाराज के बलिदान से एक नई प्रेरणा प्राप्त करने का भी अवसर है।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सिख गुरुओं का गौरवशाली इतिहास है। गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु गोविंद सिंह जी महाराज तक भक्ति और शक्ति का एक अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। यह हर भारतीय के मन में न केवल धर्म और संस्कृति के संरक्षण के प्रति बल्कि प्मातृभूमि के प्रति भी उतना ही आग्रही बनाता है। क्रूरता और बर्बरता के खिलाफ गुरु तेग बहादुर जी ने मजबूती के साथ आवाज उठाई थी। उनकी यह आवाज, उनका बलिदान कश्मीरी पंडितों की रक्षा के लिये थी। सीएम ने सबका आह्वान किया कि हम सभी अपने पूर्वजो, पूज्य गुरुओं, पूज्य संतो और महापुरुषों से प्रेरणा लेकर राष्ट्रहित में सदैव आगे बढ़ने के लिये प्रेरित हों।
इस अवसर पर जटाशंकर गुरुद्वारा प्रबंध समिति की तरफ से मुख्यमंत्री को स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र व कृपाण भेंटकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में गुरुद्वारा जटाशंकर प्रबंध समिति के अध्यक्ष सरदार जसपाल सिंह, रविंद्र पाल सिंह, कुलदीप सिंह, मंजीत भाटिया, दौलतराम, अशोक मल्होत्रा, हरप्रीत सिंह आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। संचालन उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के सदस्य सरदार जगनैन सिंह नीटू ने किया।