चिंता गिरी की चिंता हुई दूर, गोधन न्याय योजना बना सहारा

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चिंता गिरी की चिंता हुई दूर, गोधन न्याय योजना बना सहारा

चिंता गिरी की चिंता हुई दूर, गोधन न्याय योजना बना सहारा


चिंता गिरी की चिंता हुई दूर, गोधन न्याय योजना बना सहारा

रायगढ़ :  शासन की महत्वाकांक्षी योजनाएं ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में आजीविका संवर्धन में महती भूमिका निभा रही हैं। ग्रामीण एवं शहरी अर्थव्यवस्था को ध्यान में रख कर बनाई गई शासन की योजनाओं के फलस्वरूप आज ग्रामीण एवं शहरी अंचल में लोगों को रोजगार और उनके आय में वृद्धि के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है। इन योजनाओं से युवा, महिलाओं एवं किसान सभी वर्गों को लाभ मिल रहा है। इसका जीवंत उदाहरण देखने को मिला किरोड़ीमल नगर पंचायत की चिंता देवी गिरी के जीवन में, जिन्होंने छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना का लाभ लेकर खुद का फल व्यवसाय प्रारंभ कर चुकी है। इसके साथ ही एक अन्य व्यवसाय को विस्तार दे रही है।


  रायगढ़ जिले के किरोड़ीमल नगर पंचायत में निवासरत  चिंता देवी गिरी भी उनमें से एक है जिन्होंने शासन की योजनाओं का लाभ लेकर अतिरिक्त आय का जरिया निर्मित कर परिवार की जिम्मेदारियों में सहयोग प्रदान कर रही है।  चिंता गिरी ने बताया कि पूर्व में लोग गाय के गोबर को बाहर फेंक दिया जाता था। जिसकी कोई कीमत नहीं होती थी। आज उस गाय के गोबर को गोधन के रूप में जाना जाता है। उन्होंने गोधन न्याय योजना के तहत उस गोबर को बेच कर लगभग 73 हजार 400 रूपये की कमाई की जो कि उनके लिए यह एक बहुत बड़ी धन राशि थी। वर्तमान में आज उस धन राशि का उपयोग कर वह अपने द्वारा निजी व्यवसाय प्रारंभ किया है। वह आज किरोड़ीमल नगर में फल की दुकान खोलकर फलों का व्यवसाय कर रही है। जिनसे उनका लगभग प्रतिमाह 10 से 15 हजार रुपए अतिरिक्त आय प्राप्त होता है। फल व्यवसाय से मिले अर्जित आय से आज वे एक अन्य व्यवसाय प्रारंभ की है जिसमें वह घरेलू दैनिक उपयोग की चीजों का सामान रखी हुयी है। वह व्यवसाय को वृहद स्तर पर करने का प्रयास कर रही है, जिसमें उनके परिवार के सदस्य भी उनका सहयोग कर रहे है। सच्ची मेहनत और लगन से काम करने पर सफलता अवश्य प्राप्त होती है। गिरी की सफलता ने अन्य महिलाओं के लिए मिसाल कायम कर रही है। चिंता गिरी ने आजीविका विकास के लिए शासन-प्रशासन का आभार व्यक्त किया है।

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