‘छात्रावासों के कुशल प्रबंधन‘ एवं ‘विद्यार्थियों के मनो-सामाजिक देखभाल‘ प्रशिक्षण पर कार्यशाला प्रांरभ

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‘छात्रावासों के कुशल प्रबंधन‘ एवं ‘विद्यार्थियों के मनो-सामाजिक देखभाल‘ प्रशिक्षण पर कार्यशाला प्रांरभ

‘छात्रावासों के कुशल प्रबंधन‘ एवं ‘विद्यार्थियों के मनो-सामाजिक देखभाल‘ प्रशिक्षण पर कार्यशाला प्रांरभ


‘छात्रावासों के कुशल प्रबंधन‘ एवं ‘विद्यार्थियों के मनो-सामाजिक देखभाल‘ प्रशिक्षण पर कार्यशाला प्रांरभ

रायपुर : एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के छात्रावास अधीक्षकों (वार्डन) का ‘छात्रावासों के कुशल प्रबंधन‘ एवं प्रभावी संचालन तथा ‘विद्यार्थियों के मनो-सामाजिक देखभाल‘ पर क्षमता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आज से ठाकुर प्यारेलाल राज्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा रायपुर में प्रारंभ हुआ। यह छह दिवसीय प्रशिक्षण 13 जून तक चलेगा। यह कार्यक्रम मुख्य रूप से आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा प्रायोजित किया गया है, जिसमें मानस फाउंडेशन एवं यूनीसेफ के विशेषज्ञों द्वारा विशेष सहयोग दिया जा रहा है।

आदिम जाति विभाग के अपर संचालक संजय गौड़ ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय के उद्देश्य एवं शासन की प्रतिबद्धता विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए छात्रावासों के कुशल प्रबंधन एवं अच्छी अधोसंरचना के विकास पर जोर दिया। उन्होंने छात्रावास परिसर में सभी नस्तियों का उचित संधारण किए जाने पर बल दिया, जिससे सभी कार्य नियमानुसार सही समय पर किए जा सकें।  गौड़ ने कहा कि कार्यस्थल पर बच्चों के बीच छात्रावास अधीक्षकों को पूर्ण ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठता से अपने कार्य को पूर्ण करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति उत्पन्न नहीं हो।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए नवोदय विद्यालय माना रायपुर के प्राचार्य  यू.पी. पाणि ने छात्रावास के भोजन संधारण एवं अभिलेख संधारण विषय तथा छात्रावासी विद्यार्थियों के शैक्षणिक विकास में छात्रावास अधीक्षकों (वार्डन) की भूमिका तथा व्यावहारिक समस्याएं एवं समाधान विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने छात्रावासी बच्चों में आत्मविश्वास एवं छात्रावास अधीक्षक के प्रति विश्वास की भावना पैदा करने पर जोर दिया, जिससे बच्चे खुलकर अपनी समस्याओं को अधीक्षक के सम्मुख रख सकें।

आदिम जाति विभाग के उपायुक्त प्रज्ञान सेठ ने बताया कि प्रत्येक बच्चे में अलग-अलग गुण होते हैं अतः उनकी रूचि अनुसार उस पर फोकस किया जाना चाहिए। कोई बच्चा पढ़ाई में प्रवीण होता है, तो कोई खेलकूद में अतः उन पर उसी अनुसार ध्यान दिए जाने की जरूरत है, जिससे उनका समग्र विकास संभव हो सके।

छत्तीसगढ़ में यूनीसेफ की पोषण विशेषज्ञ डॉ. अर्पणा देशपाण्डे ने जनजातीय छात्रावासों के भोजन मेनू में स्थानीय उपलब्ध पौष्टिक खाद्य पदार्थों का उपयोग कैसे हो, विषय पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने छात्रावास अधीक्षकों को पौषणयुक्त भोजन एवं छात्रावासी बच्चों के नियमित स्वास्थ्य परीक्षण पर बल दिया। अंतिम सत्र में विद्यार्थियों का कॅरियर काउंसलिग की आवश्यकता विषय पर रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग के संयुक्त संचालक  ए.ओ. लारी ने विस्तार से जानकारी दी।

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