महिला आयोग का उपयोग पति और बच्चों को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता : डॉ किरणमयी नायक

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महिला आयोग का उपयोग पति और बच्चों को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता : डॉ किरणमयी नायक

महिला आयोग का उपयोग पति और बच्चों को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता : डॉ किरणमयी नायक


महिला आयोग का उपयोग पति और बच्चों को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता : डॉ किरणमयी नायक

बलरामपुर :  राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने नवीन विश्राम गृह बलरामपुर में महिला सम्बन्धी 06 मामलों की सुनवाई की, जिसमें से 2 मामलों को नस्तीबद्ध किया गया। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह कहा कि महिला आयोग का उपयोग पति और बच्चों को बचाने के लिए नहीं किया जा सकता तथा सुनवाई के दौरान आयोग ने सूरजपुर जिला चिकित्सालय में कार्यरत अनावेदक डॉक्टर पर कड़ी कार्यवाही करने के संकेत दिये हैं।


महिला आयोग जन सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका उपस्थित अनावेदक अनुपस्थित प्रकरण को विस्तार से आवेदिका से सुना गया जिसमें वर्ष 2020 में धारा 376 और प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया जा चुका है। इस स्तर पर प्रकरण न्यायालय में लंबित होने के कारण आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो जाने के कारण इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। अनावेदक नायब तहसीलदार ने आवेदिका के बेटे की रिपोर्ट थाने में रिपार्ट दर्ज कराया था, जिसमें आवेदिका के पति, देवर और उनके बेटे का नाम थाना सनावल में रिपोर्ट दर्ज कर विभिन्न धाराओं के तहत् अपराध दर्ज है। अनावेदक थाना प्रभारी ने जानकारी दिया की धारा 3, 4 शासकीय सम्पत्ति की नुकसानी निवारण अधिनियम 1984 का भी अपराध दर्ज। आवेदिका के शिकायत आवेदन को देखते हुये ऐसा प्रतीत होता है कि आवेदिका अपने पति, बच्चे एवं देवर को बचाने हेतु आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया है। आवेदिका ने यह बिन्दु उठाया है घटना तिथि को बच्चा नाबालिक था इस संबंध में अनावेदकगण ने सम्पूर्ण चालान प्रस्तुत किया है। जिसमें दस्तावेज पर होली क्रॉस कान्वेन्ट स्कूल अम्बिकापुर का दाखिल खारिज पंजी का प्रति लगा हुआ है जिसमें आवेदिका के पुत्र के जन्म तिथि में शपथ पत्र के आधार पर संशोधित जन्म तिथि अंकित है। जिसके आधार पर आवेदिका का पुत्र बालिक था। यह प्रकरण न्यायालय में भी लंबित है। जिसे यह प्रकरण महिला आयोेग के अधिनियम के अनुसार सुनवाई नही किया जा सकता जिसके कारण इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।


एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक ससुर के साथ उनके साथियों ने मिलकर समस्त संपति को एक करोड़ बत्तीस लाख रूपये में बिक्री कराया गया है। आवेदिका ने बताया कि पति एवं देवर के बच्चों को संयुक्त सम्पत्ति की हिस्सा नही दे रहा है। जबकि पंचायत के समक्ष लिखा-पढ़ी में ससुर ने कहा था कि गोरखपुर की संपति में हिस्सा दूंगा। इस प्रकरण को आयोग की सदस्य  अनीता विश्वकर्मा एवं संरक्षण अधिकारी (नवाबिहान) को समस्त दस्तावेज दिया गया जिसे आयोग की सदस्य आगामी तिथि को सुनवाई कर इस प्रकरण का निराकरण करेंगे।


इसी प्रकार एक अन्य प्रकरण में अनावेदक एमबीबीएस डॉक्टर है जो सूरजपुर में पदस्थ हैं  जो आवेदिका के पैसे से वर्ष 2011 से 2018 तक रायपुर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई किया है तथा वर्तमान में सूरजपुर जिला चिकित्सालय में पदस्थ है, आवेदिका और अनावेदक दोनों ने वर्ष 2018 में रीति-रिवाज के साथ शादी किया था। विवाह के 2 वर्ष तक दोनों पति पत्नी के रूप में रहे हैं। इस स्तर पर आयोग द्वारा पूछे जाने पर अनावेदक के मोबाइल के व्हाट्सएप नम्बरों का अवलोकन किया गया, जिसमें कई लड़कियों के साथ लगातार अश्लील चैटिंग करने की प्रवृत्ति सामने आयी, आयोग ने संरक्षण अधिकारी को तत्काल मोबाइल फोन को साइबर सेल में जांच कराने के निर्देश दिये। इस प्रकरण की निगरानी संरक्षण अधिकारी द्वारा किया जाएगा, जिससे अनावेदक के सभी अश्लील चैट का रिकॉर्ड निकाला जा सकेगा, संरक्षण अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन तैयार कर आयोग की सदस्य  नीता विश्वकर्मा को फाइल सौंपेंगे, जिसे आवश्यकतानुसार प्रकरण की सुनवाई में रखा जा सकेगा। अनावेदक के खिलाफ सिविल सेवा आचरण संहिता के तहत विभागीय कार्यवाही के लिए पत्र भी लिखा जा सकेगा।


जन सुनवाई में महिला आयोग की सदस्य  नीता विश्वकर्मा, आयोग की अधिवक्ता  शमीम रहमान, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ऑपरेशन प्रशांत कतलम, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग  जे.आर.प्रधान, जिला बाल संरक्षण अधिकारी  हरीष अबदुल्ला सहित संबंधित विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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