उत्तर प्रदेश में कृषि में विकास की अपार सम्भावनाएं: CM योगी
उत्तर प्रदेश में कृषि में विकास की अपार सम्भावनाएं: CM योगी
लखनऊ:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि में विकास की अपार सम्भावनाएं हैं। प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा है। यहां विश्व की सबसे उर्वर भूमि, पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध है। प्रदेश में 09 क्लाइमेटिक जोन, 89 कृषि विज्ञान केन्द्र, 05 कृषि विश्वविद्यालय हैं। कृषि वैज्ञानिकों, उद्यमियों तथा प्रगतिशील किसानों के सम्मिलित प्रयास से अगले 05 वर्ष में प्रदेश की कृषि सम्भावनाओं को 03 गुना बढ़ाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां योजना भवन में आयोजित संगोष्ठी ‘रोड मैप फॉर एग्रीकल्चर एण्ड एलाइड सेक्टर्स इन उत्तर प्रदेश’ में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश की कुल कृषि योग्य भूमि का 11 से 12 प्रतिशत है, जबकि राज्य में देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत खाद्यान्न का उत्पादन होता है। यह तथ्य प्रदेश की कृषि क्षेत्र की सम्भावनाओं को व्यक्त करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह सर्वविदित है कि देश की प्रगति उत्तर प्रदेश की प्रगति के साथ जुड़ी हुई है। उत्तर प्रदेश समृद्ध होगा तो देश भी समृद्ध होगा। प्रदेश में कृषि सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराता है। सर्वाधिक किसान उत्तर प्रदेश में हैं। संगोष्ठी में हुए विचार-विमर्श पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस सम्बन्ध में एक ठोस कार्ययोजना बनायी जानी चाहिए, जिसे लागू करने के साथ ही निरन्तर मॉनीटरिंग भी की जा सके।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कृषि का महत्व सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना के दौरान देखा गया। कोरोना कालखण्ड के विगत दो-ढाई वर्षों के दौरान पूरा विश्व कोरोना संक्रमण की चुनौती से जूझता रहा है। इस दौरान अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर्स में ग्रोथ रेट पर प्रतिकूल असर देखा गया है। निर्माण के क्षेत्र में 50 प्रतिशत तक निगेटिव ग्रोथ दर्ज की गयी। ऐसी स्थिति में भी कृषि सेक्टर में 3.5 प्रतिशत की पॉजिटिव ग्रोथ देखी गयी। यह स्थिति देश व प्रदेश के लिए कृषि के महत्व एवं इसमें विकास की सम्भावनाओं को दर्शाती है।
‘रोड मैप फॉर एग्रीकल्चर एण्ड एलाइड सेक्टर्स इन उत्तर प्रदेश’ विषय पर संगोष्ठी के आयोजन को सकारात्मक पहल बताते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि तकनीक के विकेन्द्रीकरण का प्रयास किया जाना चाहिए। कृषि विश्वविद्यालय आधुनिक कृषि अनुसंधान के केन्द्र बनें तथा कृषि विज्ञान केन्द्रों को इनसे जोड़ा जाए। संगोष्ठी के निष्कर्षों को प्रदेश के 09 क्लाइमेटिक जोन्स में पर्याप्त संख्या में उपलब्ध कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से लागू किया जाना चाहिए। कृषि प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित संस्थाओं एवं वैज्ञानिकों को जनसामान्य से जुड़ना चाहिए, जिससे आम किसान को आधुनिक तकनीक प्राप्त हो सके।
मुख्यमंत्री जी ने खेती में आधुनिक तकनीक अपनाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि किसानों को इस सम्बन्ध में अवगत कराने के कारगर प्रयास होने चाहिए। प्रदेश के सामान्य किसान के पास प्रायः डेढ़-दो एकड़ कृषि योग्य भूमि होती है। इन लघु किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने में संकोच होता है। प्रदेश सरकार ने राज्य में एफ0पी0ओ0 गठन की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिक, कृषि के क्षेत्र में कार्य करने वाले उद्यमी किसान मिलकर कार्य करेंगे, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की मंशा के अनुरूप प्रदेश की अर्थव्यवस्था को तेजी से एक ट्रिलियन डॉलर बनाने की ओर अग्रसर किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए स्वायल हेल्थ कार्ड योजना लागू की। प्रदेश में यह योजना प्रभावी ढंग से लागू की गयी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक स्वायल हेल्थ कार्ड वितरित करने वाला राज्य है। प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि के माध्यम से लाभान्वित होने वाले किसानों में प्रदेश के किसान सर्वाधिक संख्या में सम्मिलित हैं। विगत 05 वर्षों में राज्य में लगभग 22 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त कृषि सिंचन क्षमता सृजित की गयी है। वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थिति असंतोषजनक थी। विगत 05 वर्षों में 20 नये कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना के साथ ही, सभी 89 कृषि विज्ञान केन्द्रों में सुधार किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए किसानों के साथ संवाद, कृषि विविधीकरण के माध्यम से धान, गेहूं के साथ ही दलहन, तिलहन, सब्जी और औद्यानिक फसलों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री जी ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किए जाने पर बल दिया है। जीरो बजट खेती के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा देने से किसानों को काफी लाभ हो सकता है। जैविक खेती में व्यापक सम्भावनाएं हैं। इस खेती में लागत कम आती है तथा उत्पादन अधिक होता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश एक्सपोर्ट का हब बन रहा है। प्रदेश में एम0एस0एम0ई0 क्षेत्र का सबसे बड़ा बेस होने के बावजूद वर्ष 2017 से पहले इस क्षेत्र की स्थिति निराशाजनक थी। वर्तमान राज्य सरकार ने एम0एस0एम0ई0 क्षेत्र की मैपिंग करायी। राज्य के 75 जनपदों में से 58 जनपदों के अपने विशिष्ट उत्पाद थे। शेष जनपदों के लिए विशिष्ट उत्पाद चिन्हित कर ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना लागू की गयी। इससे विगत 05 वर्षों में प्रदेश एक्सपोर्ट हब के रूप में उभर कर सामने आया है। वर्तमान में राज्य से 1.56 लाख करोड़ रुपये का निर्यात हो रहा है। जनपद मुरादाबाद के परम्परागत पीतल के उत्पाद को बढ़ावा देने से वर्तमान में वहां से साढ़े नौ करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात हो रहा है।
संगोष्ठी को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आई0सी0ए0आर0) के पूर्व महानिदेशक डॉ0 पंजाब सिंह ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान आई0सी0ए0आर0 के डायरेक्टर प्रो0 ए0के0 सिंह ने ‘उ0प्र0 में कृषि उत्थान के नये आयाम’ विषय पर एक प्रस्तुतिकरण भी दिया। कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री जी ने आई0सी0ए0आर0 के पूर्व महानिदेशक डॉ0 पंजाब सिंह, आई0सी0ए0आर0 के डायरेक्टर प्रो0 ए0के0 सिंह एवं अन्य कृषि वैज्ञानिकों को ओ0डी0ओ0पी0 योजना का उत्पाद प्रदान कर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, गन्ना विकास एवं चीनी मिलें मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, मत्स्य मंत्री संजय निषाद, उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह, सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयेन्द्र प्रताप सिंह राठौर, कृषि उत्पादन आयुक्त मनोज कुमार सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, उद्यमी एवं प्रगतिशील किसान उपस्थित थे। अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी संगोष्ठी में वर्चुअल माध्यम से उपस्थित थे।