संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार संकल्पित : जयवीर सिंह

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संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार संकल्पित : जयवीर सिंह

गुरू पूर्णिमा के अवसर पर 18 मण्डलों के 225 से अधिक सेवानिवृत्त संस्कृत अध्यापकों को किया गया सम्मानित


संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार संकल्पित : जयवीर सिंह


लखनऊः 
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि भारत की संस्कृति तथा संस्कृत भाषा एक दूसरे के पूरक हैं। संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए संस्कृत भाषा की महती आवश्यकता है। संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने तथा उसको जन भाषा के रूप में संरक्षित करने के लिए राज्य सरकार निरन्तर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि संस्कृत देव वाणी है। इसी के बूते पर भारत विश्वगुरू की उपाधि एकबार पुनः हासिल करेगा।


पर्यटन मंत्री आज उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थानम् द्वारा गुरू पूर्णिमा के पर्व पर सेवानिवृत्त संस्कृत अध्यापकों को सम्मानित किये जाने के लिए आयोजित कार्यक्रम को  सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने उ0प्र0 संस्कृत संस्थानम् को बधाई देते हुए कहा कि गुरूओं को सम्मान देकर संस्थानम् ने संस्कृत भाषा को सम्मानित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा की गरिमा को बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में संस्कृत भाषा के प्रति लोगों की रूझान बढ़ी है। उन्होंने संस्कृत के शिक्षकों से इस भाषा का खोया हुआ गौरव पुनः वापस दिलाने के लिए पूरी कोशिश करने की अपील की।


कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रमुख सचिव भाषा  जितेन्द्र कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है। जब भारत विश्वगुरू के रूप में पूरी दुनिया में प्रसिद्ध था तब भारत की भाषा संस्कृत थी। उन्होंने कहा कि जब यूरोपियन देशों के पास ऑक्सफोर्ड, हावर्ड विश्वविद्यालय जैसी संस्थायें नहीं थी तब सभी विषयों के अध्ययन-अध्यापन में भारत सबसे आगे था। उस समय भी भारत की भाषा संस्कृत थी।


प्रमुख सचिव ने कहा कि अग्रेजों द्वारा तैयार किये गये शैक्षिक पाठ्यक्रम के कारण धीरे-धीरे संस्कृत भाषा उपेक्षित होती चली गई। उन्होंने गुरूओं का आह्वान किया कि उस समय की वैदिक गणित, खगोल शास्त्र, शल्य चिकित्सा बहुत समृद्ध थी उसे पुनः आगे लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस कार्य को शिक्षक ही कर सकते हैं।


सम्मान कार्यक्रम को देवमुनि जी महाराज ने अपना आशीर्वचन दिया। इस कार्यक्रम में प्रदेश के 18 मण्डलों से आये 225 से अधिक सेवानिवृत्त संस्कृत अध्यापकों को पर्यटन मंत्री एवं संस्कृत संस्थान के अध्यक्ष डॉ0 वाचस्पति मिश्र एवं प्रमुख सचिव भाषा  जितेन्द्र कुमार ने सम्मानित किया। इस अवसर पर उज्जैन से आये नाट्य दल ने सरमापणि संस्कृत नाटक का मंचन किया।
इस मौके पर उ0प्र0 हिन्दी संस्थान के अध्यक्ष डा0 सदानन्द गुप्त, लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवा निवृत्त प्रो0 अरूणा शुक्ला सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे। संस्थान के निदेशक  पवन कुमार ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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