बुजुर्गों के अधिकार संरक्षण में सामाजिक वातावरण महत्वपूर्ण : पटेल

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बुजुर्गों के अधिकार संरक्षण में सामाजिक वातावरण महत्वपूर्ण : पटेल

बुजुर्गों के अधिकार संरक्षण में सामाजिक वातावरण महत्वपूर्ण : पटेल


बुजुर्गों के अधिकार संरक्षण में सामाजिक वातावरण महत्वपूर्ण : पटेल

भोपाल :  राज्यपाल  मंगुभाई पटेल ने वृद्धजनों के अधिकारों के संरक्षण के लिए सामाजिक वातावरण निर्माण पर बल दिया है। युवाओं की सोच का दिशा-दर्शन और भावी पीढ़ी को संस्कारित करने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि स्कूल, कॉलेजों में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के संबंध में वैचारिक चिंतन किया जाना चाहिए। उन्होंने बुजुर्गों के सुखद भविष्य के लिए सरकार के साथ समाज के बुद्धिजीवी वर्ग के समन्वित प्रयासों की पहल की आवश्यकता बताई।

राज्यपाल  पटेल आज आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी भोपाल में प्रदेश और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार को संबोधित कर रहे थे। राज्यपाल को कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के संबंध में जन-जागरण के लिए विषय-विशेषज्ञों के आलेखों के संकलन की पुस्तिका “वृद्धजनों के अधिकार” की प्रथम प्रति भेंट की गई। राज्यपाल का स्वागत शॉल, श्रीफल से किया गया।

राज्यपाल  पटेल ने वर्तमान परिदृश्य में युवा पीढ़ी और वृद्धजनों के मध्य आत्मीय भाव में हो रही कमी पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि वृद्धजन अधिकार संरक्षण और जन-जागरण के प्रयासों को ग्रामीण एवं वंचित वर्गों तक पहुँचाने के प्रयास जरूरी हैं। राज्यपाल ने सामाजिक वातावरण निर्माण के लिए वर्तमान और भावी बुजुर्गों को एकजुट होकर संस्थागत स्वरूप में स्वैच्छिक संस्थाओं के माध्यम से प्रयास करने के लिए कहा। उन्होंने बुजुर्गों को अपने अनुभव के साथ युवा पीढ़ी का दिशा-दर्शन करने, शारीरिक और मानसिक संतुलन पर विशेष ध्यान देने, स्वस्थ रहना अपनी जिम्मेदारी मानते हुए जीवनचर्या बनाने और परिवार के सदस्यों के साथ वाणी और व्यवहार के संतुलन के साथ रहने के लिए प्रेरित किया। परिवार में आत्मीय वातावरण बनाने संबंधी दृष्टांतों के माध्यम से बताया कि बच्चों का लालन-पालन भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों के साथ करें। शिक्षा पाठ्यक्रम में राष्ट्र, समाज के साथ ही माता-पिता के त्याग और बलिदान का अहसास कराना आवश्यक है। ऐसा करने से भावी पीढ़ी पालकों के प्रति 365 दिन कृतज्ञता के भाव से भरी रहेगी। उन्होंने बड़े होने पर विवाह के बाद माता-पिता को छोड़ देने की पीड़ा को प्रसंग के द्वारा समझाया। बताया कि एक दंपति जो अपने माता-पिता से अलग रहता था, उनका सात वर्षीय बालक कुछ घंटों के लिए गुम हो गया तो वे बेहाल हो गए थे। माता-पिता के साथ 25-30 वर्ष रहने के बाद संतान द्वारा छोड़ने पर होने वाली पीड़ा का तब उन्हें अहसास हुआ। सेमीनार में राज्यपाल पटेल ने विश्व जनसंख्या दिवस की शुभकामनाएँ दी।

राज्य मानव अधिकार आयोग के चेयरमेन एन.के. जैन ने वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के संबंध में वैश्विक और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की। उन्होंने वैधानिक व्यवस्थाओं और प्रावधानों के बारे में बताया। विकास की आपाधापी में संस्कृति की धरोहर बुजुर्गों की उपेक्षा और दोयम दर्जे के व्यवहार को भारतीय नैतिक जीवन मूल्यों का अवमूल्यन बताया। वरिष्ठ नागरिकों के लिए अवर्णनीय पीड़ा निरूपित किया। उनका संरक्षण और सम्मान सरकार और समाज का दायित्व बताया।

आयोग के सदस्य  सरबजीत सिंह ने स्वागत उद्बोधन में विषय का प्रवर्तन किया। सदस्य मनोहर ममतानी ने आभार माना। आयोग के सचिव  शोभित जैन, न्यायमूर्तिगण, अधिकारी, सरकारी एवं स्वैच्छिक संगठनों का मैदानी अमला और विधि विद्यार्थी मौजूद थे।

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