छत्तीसगढ़ के दृष्टिबाधित छात्र रघुनाथ ने सबल अवार्डस् में जीता तीसरा पुरस्कार

छत्तीसगढ़ के दृष्टिबाधित छात्र रघुनाथ ने सबल अवार्डस् में जीता तीसरा पुरस्कार
 

रायपुर :  जीवन में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने की ललक इन्सान में नई उर्जा और उत्साह का संचार करती है। व्यक्ति की प्रतिभा और लगन उसे अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। मेरा भी सपना किसी बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा की बदौलत अपने परिवार का नाम करना है। यह कहना है सुकमा जिले के आकार संस्था में 10वीं कक्षा में अध्ययनरत दिव्यांग छात्र रघुनाथ नाग का। इन्होंने हाल ही में झारखण्ड राज्य के जमशेदपुर में टाटा स्टील फाऊंडेशन द्वारा दिव्यांग बच्चों की विशिष्ट कला प्रतिभा को प्रोत्साहित करने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित सबल अवार्डस् में छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व किया। रघुनाथ ने 17 राज्यों के प्रतिभागियों के बीच अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और तीसरा पुरस्कार अपने नाम किया।


रघुनाथ पूर्णतः दृष्टिबाधित हैं मगर उनके हौसले और जीवन जीने का अंदाज प्रेरणादायक है। उनमें गजब की गायन प्रतिभा है, हार्माेनियम वादन के साथ ही रघुनाथ ने ‘‘ऐसी लागी लगन...‘‘ गाकर सुरों का ऐसा समा बांधा कि सब मंत्रमुग्ध रह गये। महिला एवं बाल विकास मंत्री  अनिला भेंड़िया और सुकमा कलेक्टर  हरिस. एस ने रघुनाथ को इस विशिष्ट उपलब्धि के लिए बधाई और आगामी सफलताओं के लिए शुभकामनाएं दी। रघुनाथ को सबल फाऊंडेशन द्वारा प्रशस्ति पत्र और 10 हजार का चेक पुरस्कार प्रदान किया गया है।


संगीत के सुरों से गढ़ना चाहता हूं अपना भविष्य-रघुनाथ
    सुकमा विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम सोनाकुकानार के निवासी रघुनाथ नाग, पांच भाई बहनों में चौथे हैं। जन्म से ही दृष्टिबाधित रघुनाथ ने दुनिया अपने मन की आखों से देखी और इनमें रंग भरे हैं। करीब 12 वर्ष की उम्र में रघुनाथ के पिता  सोनु राम नाग ने उसका दाखिला जिले के आकार संस्था में करवाया, जहां दिव्यांग बच्चों को विशेष देखरेख के साथ ही शिक्षा प्रदान की जाती है। आकार संस्था में आकर रघुनाथ को दुनिया और रंगीन दिखने लगी, यहां उस जैसे ही बहुत से दिव्यांग बच्चे थे, जो अपनी दुनिया गढ़ने में मस्त रहते। कक्षा छठवीं में रघुनाथ को संगीत के सुरों ने अपनी ओर आकर्षित किया और वह उसमें बंधता चला गया। वर्तमान में रघुनाथ कक्षा दसवीं में पढ़ रहा है और एक पारंगत गायक के साथ ही उम्दा हार्माेनियम वादक भी है। वह अभी ढोलक और तबला वादन भी सीख रहा है। उसने बताया कि सुरों के संगम में जीवन आसान लगता है, मुझे कभी इस बात का अहसास नहीं होता कि मैं देख नहीं सकता। बल्कि उसे इस बात की खुशी है कि वह इस कोरे संसार को अपने पंसद के सुरों में पिरोता है। रघुनाथ संगीत के क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाना चाहता है, और अपने परिवार के साथ ही सुकमा जिले और छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करना चाहता है।