देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर राज्य की बदलती आबादी और अवैध अतिक्रमण के मुद्दे पर कड़ा स्टैंड लिया है। हाल ही में कुमाऊं दौरे के दौरान हल्द्वानी और काठगोदाम में आयोजित कार्यक्रमों में उन्होंने साफ-साफ कहा कि देवभूमि की सांस्कृतिक पहचान और मूल निवासियों के हक को किसी भी कीमत पर खतरे में नहीं पड़ने दिया जाएगा।
सरकारी जमीन पर रातों-रात कब्जे की नई तरकीब
सीएम धामी ने बताया कि कई जगहों पर लोग हरी, नीली या पीली चादर बिछाकर पहले सरकारी जमीन पर निशानदेही करते हैं और फिर वहाँ मकान या धार्मिक ढांचे खड़े कर देते हैं। सरकार ने अब तक ऐसे 550 से ज्यादा अवैध निर्माणों की पहचान की और उन्हें ध्वस्त कर दिया। साथ ही पिछले कुछ सालों में करीब 10 हजार एकड़ सरकारी जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया गया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी राज्यों में खाली पड़ी सरकारी जमीन पर इस तरह का सुनियोजित कब्जा लंबे समय से चल रहा है। इससे न सिर्फ राजस्व का नुकसान होता है, बल्कि स्थानीय लोगों का रोजगार और संसाधनों पर हक भी कमजोर पड़ता है।
लैंड जिहाद को लेकर जीरो टॉलरेंस
मुख्यमंत्री ने इसे “लैंड जिहाद” का नाम देते हुए कहा कि राज्य में इस तरह की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। उनका साफ कहना है कि कुछ लोग बाहर से आकर पहाड़ों के उन इलाकों में बस रहे हैं जहाँ पहले उनकी कोई मौजूदगी नहीं थी। अब वे खुद को मूल निवासी बताकर जमीन और सुविधाओं पर दावा ठोंक रहे हैं।
राज्य सरकार ने इसी साल सख्त भू-कानून लागू किया है, जिसमें बाहर के लोगों को जमीन खरीदने पर कई पाबंदियाँ लगाई गई हैं। इसके बावजूद अवैध कब्जों के प्रयास रुक नहीं रहे।
बनभूलपुरा दंगे का जिक्र, नया कानून भी बना
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में फरवरी 2024 में हुए बड़े दंगे का जिक्र करते हुए सीएम धामी भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि दंगाइयों ने पुलिसकर्मियों, महिला कर्मियों और पत्रकारों तक पर हमला किया था। घायलों को देखकर दिल काँप उठा था।
तभी फैसला लिया गया कि दंगाइयों से सरकारी और निजी संपत्ति का पूरा नुकसान वसूला जाएगा। इसके लिए उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने “दंगा वसूली कानून” लागू किया। अब तक कई दंगाइयों से लाखों रुपये की वसूली भी हो चुकी है।
बेटियों की सुरक्षा और थूक जिहाद पर भी चेतावनी
सीएम ने कहा कि राज्य की बेटियों के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा। साथ ही “थूक जिहाद” जैसी विकृत मानसिकता के खिलाफ भी सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। खाने-पीने की चीजों में थूकने की शिकायतों के बाद कई दुकानों पर छापेमारी और कार्रवाई हुई है।
