Uttarakhand : उत्तराखंड के दो अलग-अलग शहरों हरिद्वार और रुद्रपुर में सोमवार को एक साथ तीन आत्महत्या के मामले सामने आए। एक नवविवाहिता, एक अज्ञात युवक और एक इंजीनियरिंग का होनहार छात्र — तीनों की जिंदगियां अचानक खत्म हो गईं। ये घटनाएं सिर्फ पुलिस केस नहीं, बल्कि समाज में बढ़ते मानसिक दबाव, पारिवारिक तनाव और युवाओं में डिप्रेशन की गंभीर चेतावनी हैं। आइए जानते हैं हर मामले की सच्चाई और उसके पीछे की वजहें।
हरिद्वार: शादी में जाने की जिद बनी मौत की वजह?
हरिद्वार की टिहरी विस्थापित कॉलोनी में रहने वाली अंजलि शर्मा की शादी को अभी कुछ ही महीने हुए थे। उनका पति जितेंद्र शर्मा ड्राइवर हैं और घर की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत नहीं। अंजलि अपने चाचा के बेटे की शादी में जाना चाहती थीं, लेकिन पति ने पैसे की तंगी का हवाला देकर मना कर दिया।
रविवार रात दोनों के बीच इसी बात को लेकर झगड़ा हुआ। खाना खाकर सोने के बाद सुबह जब जितेंद्र घर से निकले तो अंजलि ने फांसी लगा ली। ससुर धर्मेंद्र शर्मा ने ही पुलिस को खबर दी। मायके वालों का गंभीर आरोप है कि ये आत्महत्या नहीं, हत्या है और ससुराल वाले इसे आत्महत्या दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है और दोनों पक्षों से पूछताछ जारी है।
ऐसे मामले उत्तराखंड में पहले भी आए हैं जहां छोटी-छोटी बातें घरेलू कलह का रूप ले लेती हैं और अंत में किसी की जान चली जाती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि शादी के शुरुआती सालों में भावनात्मक समर्थन और खुलकर बात करना बहुत जरूरी होता है।
हिल बाइपास पर लटका मिला युवक का शव
हरिद्वार के ही हिल बाइपास रोड पर सुबह-सुबह राहगीरों की नजर एक पेड़ पर लटकते शव पर पड़ी। देखते ही देखते इलाके में अफरा-तफरी मच गई। पुलिस ने शव उतारा और पहचान करने की कोशिश शुरू की, लेकिन अभी तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो पाई है।
प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला लग रहा है, लेकिन आसपास के लोगों से पूछताछ और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही सही कारण पता चलेंगे। पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया है और सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं। अनजान शख्स की मौत हम सबके लिए सवाल खड़ा करती है — क्या हम अपने आसपास के लोगों की परेशानी को नजरअंदाज कर रहे हैं?
पंतनगर यूनिवर्सिटी: 20 साल के अक्षत ने क्यों चुना ये रास्ता?
सबसे दर्दनाक खबर रुद्रपुर के पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय से आई। बीटेक सिविल इंजीनियरिंग के तीसरे साल के छात्र अक्षत सैनी (20 साल) रुड़की के संजय गांधी कॉलोनी के रहने वाले थे। सोमवार सुबह उनके रूममेट उन्हें बुलाने गए तो दरवाजा अंदर से बंद था।
बार-बार आवाज लगाने पर भी कोई जवाब नहीं आया तो दोस्तों ने दरवाजा तोड़ दिया। अंदर का नजारा देखकर सभी के होश उड़ गए — अक्षत का शव लटक रहा था। कमरे से उनकी डायरी भी मिली जिसमें वे खुद से सवाल-जवाब लिखते थे। मौसेरे भाई ने बताया कि अक्षत पिछले काफी समय से डिप्रेशन की दवा ले रहे थे।
देश में हर साल लगभग 1.5 लाख लोग आत्महत्या करते हैं और इनमें बड़ी संख्या 15-29 साल के युवाओं की होती है। इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसे कोर्स में पढ़ने वाले छात्रों पर पढ़ाई का भयानक दबाव, करियर की चिंता और दोस्तों से अलगाव जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। पंतनगर जैसे बड़े कैंपस में भी काउंसलिंग सुविधाएं हैं, लेकिन ज्यादातर छात्र मदद मांगने में हिचकिचाते हैं।
ये तीन मौतें हमें क्या सिखाती हैं?
एक ही दिन में तीन अलग-अलग जगहों पर तीन जिंदगियां खत्म होना महज संयोग नहीं है। ये हमारे समाज में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट की झलक है। चाहे घरेलू कलह हो, आर्थिक तंगी हो या पढ़ाई का तनाव — बात अगर दिल तक पहुंच जाए तो इंसान सबसे आसान रास्ता चुन लेता है।
