3 Jun 2025, Tue

उत्तराखंड में UCC ने रचा इतिहास, सिर्फ 4 महीने में आये 1.5 लाख से ज्यादा आवेदन

Uttarakhand : उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code – UCC) को लागू करके देश में एक नया इतिहास रच दिया है। यह पहला राज्य है, जिसने संविधान के अनुच्छेद 44 (Article 44) की भावना को साकार करते हुए सभी नागरिकों के लिए समान कानूनी ढांचा स्थापित किया है।

मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami ने हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में प्रधानमंत्री Narendra Modi और केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah की मौजूदगी में इस उपलब्धि का बखान किया। उनके नेतृत्व में उत्तराखंड ने न केवल UCC को लागू किया, बल्कि इसे जन-जन तक पहुंचाने के लिए डिजिटल और भौतिक संसाधनों का व्यापक उपयोग भी किया। चार महीनों के भीतर ही राज्य के 98% गांवों से डेढ़ लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो इस कानून को मिल रहे जन समर्थन का जीवंत प्रमाण है। 

डिजिटल क्रांति के साथ UCC का सुगम कार्यान्वयन

मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami ने बताया कि UCC को लागू करने के लिए एक मजबूत और पारदर्शी सिस्टम तैयार किया गया है। इसके तहत एक समर्पित पोर्टल और मोबाइल ऐप (Mobile App) विकसित किया गया है, जिससे लोग आसानी से आवेदन कर सकें।

इसके अलावा, 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (Common Service Centers – CSC) को इस प्रक्रिया से जोड़ा गया है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को कोई असुविधा न हो। रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को और सहज बनाने के लिए ऑटो एस्केलेशन (Auto Escalation) और शिकायत निवारण प्रणाली (Grievance Redressal System) भी लागू की गई है। इस डिजिटल ढांचे ने न केवल प्रक्रिया को तेज किया, बल्कि इसे पारदर्शी और विश्वसनीय भी बनाया। 

जनता की भागीदारी और व्यापक परामर्श

UCC को लागू करने की दिशा में उत्तराखंड सरकार ने व्यापक जन-परामर्श का रास्ता अपनाया। 27 मई 2022 को जस्टिस Ranjana Desai की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया, जिसने राज्य के सभी 13 जिलों में लोगों से सुझाव एकत्र किए। इस दौरान समिति को 2 लाख 32 हजार से अधिक सुझाव प्राप्त हुए।

समिति ने न केवल आम नागरिकों, बल्कि राजनीतिक दलों, वैधानिक आयोगों और विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों से भी बातचीत की। इस व्यापक परामर्श ने UCC को एक समावेशी और जन-केंद्रित कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

विधानसभा से राष्ट्रपति भवन तक का सफर

7 फरवरी 2024 को उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Legislative Assembly) ने UCC विधेयक को पारित कर इसे राष्ट्रपति Droupadi Murmu को भेजा। 11 मार्च 2024 को राष्ट्रपति ने इस ऐतिहासिक विधेयक को अपनी मंजूरी दी। इसके बाद, 27 जनवरी 2025 को उत्तराखंड ने पूरे राज्य में UCC को विधिवत रूप से लागू कर दिया।

यह कानून न केवल सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है, बल्कि हलाला (Halala), तीन तलाक (Triple Talaq), बहुविवाह (Polygamy) और बाल विवाह (Child Marriage) जैसी कुप्रथाओं पर भी पूर्ण रोक लगाता है। साथ ही, यह अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) को उनकी सांस्कृतिक पहचान और रीति-रिवाजों की रक्षा के लिए इस कानून के दायरे से बाहर रखता है। 

महिला सशक्तिकरण और सामाजिक समानता की दिशा में कदम

UCC का उद्देश्य जाति, धर्म और लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को समाप्त करना है। इसके तहत सभी नागरिकों को विवाह (Marriage), तलाक (Divorce), और उत्तराधिकार (Inheritance) जैसे मामलों में समान अधिकार दिए गए हैं। अब बेटियों को संपत्ति में बराबर का हक मिलेगा, चाहे वह प्राकृतिक संबंधों, सहायक विधियों या लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) से जन्मे बच्चों के लिए हो।

इसके अलावा, माता-पिता को भी बच्चों की संपत्ति में अधिकार दिया गया है, ताकि बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो। लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है, जिससे युवाओं को सामाजिक और कानूनी जटिलताओं से बचाया जा सके। 

उत्तराखंड की जनता का भरोसा और भविष्य की राह

मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami ने UCC के सफल कार्यान्वयन के लिए प्रधानमंत्री Narendra Modi और गृह मंत्री Amit Shah का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह कानून किसी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सामाजिक कुप्रथाओं को मिटाने और समरसता को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।

उत्तराखंड की जनता ने इस कानून को खुले दिल से अपनाया है, और चार महीनों में डेढ़ लाख से अधिक आवेदन इसका प्रमाण हैं। यह कानून न केवल सामाजिक समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह उत्तराखंड को देश में एक प्रगतिशील और समावेशी राज्य के रूप में स्थापित करता है। 

By admin

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