देहरादून के पटेल नगर में 23 जनवरी 2025 की सुबह एक ऐसी घटना ने सबको चौंका दिया, जिसने नगर निकाय चुनाव की गर्मागर्मी को और भड़का दिया। वार्ड नंबर 88 के मेहूवाला इलाके में निर्दलीय प्रत्याशी तस्मीया के पति सुहैल की फॉर्च्यूनर कार पर अज्ञात नकाबपोश ने गोली चला दी।
इस घटना ने स्थानीय लोगों में दहशत फैला दी और पुलिस तुरंत हरकत में आ गई। शुरुआती जांच में यह एक सुनियोजित साजिश लग रही थी, लेकिन जैसे-जैसे पुलिस ने परतें खोलीं, एक चौंकाने वाला सच सामने आया। यह गोलीबारी कोई बाहरी हमला नहीं, बल्कि चुनावी रंजिश और व्यक्तिगत विवाद का नतीजा थी।
पटेल नगर थाने में सुबह करीब तीन बजे सूचना मिली कि सुहैल की कार पर गोली चली है। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की और मामला धारा 109 बीएनएस के तहत दर्ज किया गया। शुरुआत में यह मामला किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा की गई हरकत लग रहा था, लेकिन गवाहों के बयान, सीसीटीवी फुटेज और गहन छानबीन के बाद पुलिस ने यशवर्धन सिंह उर्फ यश ठाकुर को मुख्य आरोपी के रूप में चिह्नित किया। यश ठाकुर, जो कांग्रेस प्रत्याशी तरन्नुम अंसारी के प्रचार में सक्रिय रूप से शामिल था, ने इस घटना को अंजाम दिया था।
पुलिस ने यश की गिरफ्तारी के लिए कई ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन उसने नैनीताल उच्च न्यायालय से गिरफ्तारी पर रोक हासिल कर ली। हालांकि, कोर्ट के निर्देशानुसार पुलिस ने यश के बयान दर्ज किए। यश ने बताया कि घटना से पहले चंदा ताल के पास सुहैल और उसके साथियों के साथ उसकी कहासुनी हो गई थी। गुस्से में आकर उसने मेहूवाला में सुहैल की कार पर गोली चला दी। इस स्वीकारोक्ति ने साफ कर दिया कि यह गोलीबारी किसी राजनीतिक साजिश से ज्यादा, आवेश में की गई हरकत थी।
पुलिस ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता बरती और सभी सबूतों के आधार पर यशवर्धन के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर कोर्ट में पेश किया। इस घटना ने न केवल स्थानीय चुनावी माहौल को प्रभावित किया, बल्कि यह भी सवाल उठाया कि क्या राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में व्यक्तिगत रंजिश इस हद तक जा सकती है।
देहरादून पुलिस की त्वरित कार्रवाई और निष्पक्ष जांच ने एक बार फिर यह साबित किया कि कानून के सामने कोई भी बच नहीं सकता। यह घटना हमें यह भी सोचने पर मजबूर करती है कि चुनावी प्रक्रिया में शांति और सहयोग को कैसे बढ़ावा दिया जाए, ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों।