---Advertisement---

GST 2.0 : GST कम होने के बावजूद किराना महंगा क्यों? आम आदमी के लिए बड़ी चुनौती

By: Sansar Live Team

On: Saturday, October 4, 2025 7:15 AM

Google News
Follow Us

GST 2.0 : जीएसटी 2.0 (GST 2.0) लागू होने के बाद फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) प्रोडक्ट्स की कीमतों में कमी का लाभ ग्राहकों तक पहुंचाने में कई खामियां सामने आ रही हैं। कंपनियां और डिस्ट्रीब्यूटर्स एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं, जबकि सरकार सख्त कार्रवाई की तैयारी में है।

कुछ कंपनियों का कहना है कि देरी और गड़बड़ियां डिस्ट्रीब्यूटर्स की वजह से हैं, वहीं वितरकों का आरोप है कि कुछ बड़े ब्रांड्स ने अपने प्रोडक्ट्स के बेस प्राइस ही बढ़ा दिए हैं। आखिर माजरा क्या है? आइए जानते हैं।

बेस प्राइस बढ़ाने का खेल

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स संगठन के प्रमुख ने बताया कि वितरक वही कीमतें लागू कर सकते हैं, जो कंपनियों की ओर से सिस्टम में दर्ज होती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ बड़े FMCG ब्रांड्स ने अपने चुनिंदा पैक्स के बेस प्राइस बढ़ा दिए हैं। इस वजह से जीएसटी (GST) में कटौती का लाभ ग्राहकों तक नहीं पहुंच रहा। इससे रोजमर्रा के सामान की कीमतों में कमी दिखाई नहीं दे रही।

कहां हो रही है गड़बड़ी?

उद्योग और व्यापार जगत के अधिकारियों के अनुसार, ये समस्याएं खास तौर पर 20 रुपये या उससे कम कीमत वाले छोटे पैक्स में देखने को मिल रही हैं। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) उन ब्रांड्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर नजर रख रहा है, जिन्होंने जीएसटी (GST) दरों में कटौती के बाद बेस प्राइस बढ़ाया। अधिकारियों का कहना है कि कानून में ऐसी अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए पर्याप्त प्रावधान मौजूद हैं।

बड़े ब्रांड्स का क्या है जवाब?

हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), कोलगेट-पामोलिव, हिमालय वेलनेस और परफेटी वैन मेले जैसी बड़ी FMCG कंपनियों का कहना है कि वे जीएसटी (GST) में कटौती का पूरा लाभ ग्राहकों को दे रही हैं। इन कंपनियों ने दावा किया कि नए पैक और कीमतों में कोई भी अंतर अस्थायी है। कई कंपनियों ने कम कीमतों वाले नए स्टॉक की घोषणा के लिए विज्ञापन भी जारी किए हैं।

हालांकि, कुछ समय के लिए बाजार में पुराने और नए दोनों तरह के एमआरपी (MRP) वाले प्रोडक्ट्स उपलब्ध हो सकते हैं। ग्राहकों को सलाह दी गई है कि खरीदारी से पहले नई एमआरपी की जांच जरूर करें।

उपभोक्ताओं की शिकायतें और कार्रवाई

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ग्राहकों की करीब 2,000 शिकायतों को सीबीआईसी (CBIC) के पास भेजा है। इन शिकायतों में कहा गया है कि जीएसटी (GST) में कटौती के बावजूद रोजमर्रा के सामान और किराना प्रोडक्ट्स की कीमतों में कोई कमी नहीं आई है। रेवेन्यू डिपार्टमेंट जल्द ही इस मुद्दे पर चर्चा कर सकता है। साथ ही, सीबीआईसी की एक विशेष टीम ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर होने वाले लेनदेन की जांच कर रही है, जहां सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज हुई हैं।

800 ब्रांड्स को मिला नोटिस

केंद्र सरकार ने करीब 800 ब्रांड्स और कंपनियों को 20 अक्टूबर तक खामियों को ठीक करने के लिए नोटिस भेजा है। इनमें ज्यादातर तकनीकी गड़बड़ियों और सिस्टम अपग्रेड को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई क्षेत्रीय FMCG ब्रांड्स को नई जीएसटी (GST) दरों के हिसाब से ढलने में समय लग रहा है।

‘ग्राहकों के साथ धोखा’

30 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जीएसटी (GST) में कटौती के बाद मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) कम किए बिना प्रोडक्ट की मात्रा बढ़ाना ‘धोखा’ है।

कोर्ट ने कहा कि टैक्स कटौती का मकसद उपभोक्ताओं के लिए सामान को सस्ता करना है। अगर कीमत वही रहती है और मात्रा बढ़ा दी जाती है, तो यह मकसद पूरा नहीं होता। कोर्ट ने साफ कहा कि अगर ग्राहक ने बढ़ी हुई मात्रा की मांग नहीं की, तो यह उपभोक्ताओं के साथ नाइंसाफी है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment