Dehradun News : थानाध्यक्ष निलंबित, सीनियर इंसपेक्टर को सौंपी गई जांच
Dehradun News : देहरादून के राजपुर इलाके में हुई एक सड़क दुर्घटना का मामला अब गरमाता जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो को देखते ही वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून ने तुरंत एक्शन लिया। थानाध्यक्ष राजपुर को फौरन सस्पेंड कर दिया गया। यही नहीं, एक प्रार्थना पत्र पर तुरंत केस दर्ज करने के आदेश भी जारी हो गए।
इसके बाद उसी थाने पर थानाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा नंबर 192/25 के तहत धारा 281 और 324(4) बीएनएस के जरिए एफआईआर दर्ज की गई। इसकी निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के लिए सीनियर इंस्पेक्टर को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मामला इतना संवेदनशील है कि किसी भी कोने से सच्चाई बाहर न आए, ऐसा कोई चांस नहीं छोड़ा जा रहा।
मेडिकल जांच और ब्लड सैंपल
घटना की गंभीरता को भांपते हुए एसएसपी देहरादून ने सख्त निर्देश दिए। पुलिस अधीक्षक नगर की अगुवाई में एक टीम भेजी गई, जो तत्कालीन थानाध्यक्ष राजपुर का मेडिकल परीक्षण करवाने पहुंची। किसी भी संभावना को ध्यान में रखते हुए उनके ब्लड सैंपल भी लिए गए। ये सैंपल जल्द ही विस्तृत जांच के लिए फॉरेंसिक साइंस लैब भेजे जाएंगे। अब सबकी नजरें इस रिपोर्ट पर टिकी हैं – क्या इससे कोई नया राज खुलने वाला है?
सोशल मीडिया पर पुलिसकर्मियों के कमेंट्स
इस केस को लेकर सोशल मीडिया पर हलचल मच गई है। कुछ पुलिसकर्मियों ने भी प्लेटफॉर्म्स पर अपनी राय जाहिर की और कमेंट्स किए। उन्होंने उच्च अधिकारियों के फैसलों पर खुलकर बात की, जो अब विवाद का सबब बन रहा है। ये प्रतिक्रियाएं केस की आग पर तेल डालने जैसी हैं, क्योंकि इससे न सिर्फ विभाग की इमेज खराब हो रही है, बल्कि जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं।
एसएसपी का सख्त अलर्ट
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून ने अब साफ ललकारा है। सभी थाना और शाखा प्रभारियों को निर्देश जारी किए गए कि वे अपने अंडर में तैनात पुलिसकर्मियों को सतर्क कर दें। अगर कोई सरकारी कर्मचारी किसी केस के फैसले पर सोशल मीडिया पर कमेंट या रिएक्शन देता है, तो ये कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन होगा।
साथ ही, पुलिस मुख्यालय की सोशल मीडिया पॉलिसी के तहत समय-समय पर जारी गाइडलाइंस का भी खुला उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे मामलों में संबंधित पुलिसकर्मी के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है। एसएसपी ने सभी प्रभारियों को चेतावनी दी है कि इन आदेशों का पालन कड़ाई से सुनिश्चित करें, वरना कोई ढील नहीं बरती जाएगी। ये कदम न सिर्फ इस केस को मजबूत करेगा, बल्कि पूरे विभाग में अनुशासन लाने में भी मददगार साबित होगा।