देहरादून : सुबह-सुबह का वक्त था। चारों तरफ हल्की ठंड और कोहरा। देहरादून-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर नुन्नावाला-भानियावाला इलाके में अचानक तेज़ आवाज़ गूंजी। दिल्ली से देहरादून आ रही एक लग्जरी वॉल्वो बस अनियंत्रित होकर सामने चल रहे गन्ने से लदे ट्रैक्टर-ट्रॉली में जोरदार टक्कर मार बैठी। यह हादसा इतना भयानक था कि बस का अगला हिस्सा पूरी तरह से कुचल गया।
बस चालक की मौके पर ही मौत, परिचालक गंभीर रूप से घायल
हादसे में बस चलाने वाले 52 साल के योगेंद्र की जान मौके पर ही चली गई। वे मूल रूप से गाजियाबाद के मोदी नगर क्षेत्र के पटला गांव के रहने वाले थे। बस में सवार परिचालक 32 साल के दिलशान भी बुरी तरह घायल हो गए। वे उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के बाबूगढ़ थाना क्षेत्र के आरिफपुर गांव के निवासी हैं। अच्छी बात यह रही कि बस में सवार सभी यात्री पूरी तरह सुरक्षित रहे। किसी को भी गंभीर चोट नहीं आई।
SDRF ने दिखाई तत्परता, फंसे चालक को काटकर निकाला
हादसे की सूचना मिलते ही भानियावाला पुलिस चौकी और SDRF की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। बस का अगला हिस्सा इतना ज्यादा दब गया था कि चालक का शरीर सीट और स्टीयरिंग में फंस गया था। SDRF के जांबाज़ जवानों ने कटर की मदद से करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद शव को बाहर निकाला। इसके बाद दोनों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने योगेंद्र को मृत घोषित कर दिया।
सुबह साढ़े पांच बजे का वक्त, कोहरा और तेज़ रफ्तार बन सकते हैं कारण?
चौकी प्रभारी नवीन डंगवाल ने बताया कि हादसा आज सुबह करीब 5:30 बजे हुआ। दिसंबर का महीना है, सुबह के समय हल्का कोहरा और कम विजिबिलिटी रहती है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहाड़ी रूट्स पर सुबह के समय कोहरा, नींद और तेज़ रफ्तार का कॉकटेल सबसे ज्यादा खतरनाक साबित होता है। उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों में ऐसे हादसों की संख्या बढ़ी है, जिसमें सुबह के समय बड़े वाहनों की टक्कर सबसे आम कारण रही है।
क्यों बार-बार हो रहे हैं ऐसे हादसे?
उत्तराखंड के हाइवे खासकर देहरादून-हरिद्वार रूट पर भारी वाहनों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है। गन्ने का सीजन चल रहा है, इसलिए ट्रैक्टर-ट्रॉली दिन-रात सड़क पर दौड़ रहे हैं। इनकी स्पीड कम होती है और अचानक ब्रेक लगने पर पीछे आने वाली तेज़ रफ्तार बसें या ट्रक संभल नहीं पाते। ट्रैफिक विशेषज्ञ डॉ. अनिल शर्मा कहते हैं, “हाइवे पर लेन डिसिप्लिन और स्पीड लिमिट का पालन न होना सबसे बड़ा खतरा है। सुबह के समय ड्राइवरों की थकान भी एक बड़ा फैक्टर रहता है।”
परिवार पर छाया मातम, पुलिस जांच में जुटी
योगेंद्र अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे। घर में बुजुर्ग माता-पिता और बच्चे हैं। हादसे की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। सीसीटीवी फुटेज और गवाहों के बयान जुटाए जा रहे हैं।
