देहरादून : देहरादून शहर में इन दिनों पत्रकारों के बीच खुशी का माहौल है। स्थानीय वरिष्ठ पत्रकार अरुण त्रिपाठी को हाल ही में प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया का सदस्य नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उत्तराखंड ही नहीं, पूरे उत्तर भारत के पत्रकारिता समुदाय के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
प्रेस कौंसिल क्या करती है और यह नियुक्ति क्यों ख़ास है?
प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया देश में प्रिंट मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करती है, पत्रकारों के अधिकारों की पैरवी करती है और साथ ही मीडिया में नैतिकता व जवाबदेही बनाए रखने का काम करती है। इसके सदस्यों का चयन बहुत सोच-समझकर होता है। ऐसे में किसी राज्य स्तरीय पत्रकार का इसमें जगह बनाना अपने आप में बड़ी बात है। विशेषज्ञों का मानना है कि छोटे-मध्यम शहरों से आने वाले पत्रकारों की यह उपस्थिति काउंसिल को और ज्यादा जमीनी बनाएगी।
सम्मान समारोह में जुटे दिग्गज
शहर के एक साधारण से लेकिन गरिमामय आयोजन में देहरादून के सैकड़ों पत्रकार इकट्ठा हुए। पूर्व प्र ेस कौंसिल सदस्य अशोक नवरत्न ने कहा, “अरुण जी जैसे ईमानदार और जुझारू पत्रकार ही मीडिया की असली ताकत हैं। उनकी यह नियुक्ति साबित करती है कि मेहनत और सिद्धांत कभी व्यर्थ नहीं जाते।”
देवभूमि पत्रकार यूनियन के महासचिव डॉ. वी.डी. शर्मा ने बताया कि पिछले कई दशकों में उत्तराखंड से यह पहला मौका है जब किसी सक्रिय पत्रकार को यह जिम्मेदारी मिली है। वरिष्ठ पत्रकार गुरदीप सिंह टोनी और राजकुमार छाबड़ा ने भी अरुण त्रिपाठी के लंबे संघर्ष और बेबाक लेखन की तारीफ की।
अरुण त्रिपाठी का सफर – एक मिसाल
अरुण त्रिपाठी पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। उन्होंने छोटे-छोटे अखबारों से शुरुआत की और आज बड़े राष्ट्रीय अखबारों में अपनी मजबूत पहचान रखते हैं। पर्यावरण, भ्रष्टाचार, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर उनकी कलम हमेशा बुलंद रही है। कई बार धमकियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। यही वजह है कि आज पूरा पत्रकार समुदाय उन्हें अपना प्रतिनिधि देख रहा है।
आगे क्या उम्मीदें हैं?
पत्रकार साथियों का मानना है कि प्रेस कौंसिल में अरुण त्रिपाठी की मौजूदगी से पहाड़ी राज्यों के पत्रकारों की समस्याएं – जैसे विज्ञापन नीति में भेदभाव, सुरक्षा का अभाव और डिजिटल युग में नए चुनौतियां – ज्यादा प्रभावी ढंग से उठाई जा सकेंगी। कई लोगों ने तो यह भी कहा कि अब उत्तराखंड में पत्रकारिता के मानक और ऊंचे होंगे।
यह नियुक्ति सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्रीय मीडिया की जीत है। इससे युवा पत्रकारों को भी संदेश जाता है कि अगर आप मेहनत और ईमानदारी से काम करेंगे तो बड़ा मंच अपने आप मिलेगा।
