Bageshwar : उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। कांडा तहसील के माणा कभड़ा गांव में शनिवार की देर शाम एक मासूम बच्चे की जिंदगी को एक तेंदुए ने छीन लिया। चार साल का नैतिक, जो अपनी मां के साथ घर के पास बने शौचालय की ओर जा रहा था, अचानक एक तेंदुए के हमले का शिकार हो गया।
बारिश की फुहारों के बीच मां की चीखें गूंजीं, लेकिन तेंदुआ मासूम को अपनी गिरफ्त में लेकर जंगल की ओर भाग निकला। यह दुखद घटना न केवल एक परिवार के लिए त्रासदी बन गई, बल्कि जंगली जानवरों और इंसानों के बीच बढ़ते टकराव की गंभीर समस्या को भी उजागर करती है।
शाम का वक्त था, जब नैतिक अपनी मां का हाथ थामे घर से कुछ कदम दूर शौचालय की ओर बढ़ रहा था। अंधेरा घिर रहा था और बारिश की हल्की बूंदें माहौल को और ठंडा बना रही थीं। तभी, झाड़ियों में घात लगाए बैठे तेंदुए ने एकाएक हमला कर दिया। मां की आंखों के सामने ही तेंदुआ नैतिक को उठाकर जंगल की ओर भाग गया।
मां की चीख सुनकर परिवार वाले और पड़ोसी दौड़े, लेकिन तब तक तेंदुआ अपनी शिकार के साथ गायब हो चुका था। ग्रामीणों ने हिम्मत जुटाई और लाठियां-डंडे लेकर बच्चे की तलाश में जंगल की ओर बढ़े। करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद, ग्रामीणों को घर से 200 मीटर दूर एक खाई में नैतिक का नन्हा शरीर बेजान पड़ा मिला। यह नजारा देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
घटना की खबर फैलते ही गांव में सन्नाटा पसर गया। सूचना मिलते ही वन विभाग और राजस्व विभाग की टीमें धरमघर रेंज के रेंजर प्रदीप कांडपाल के नेतृत्व में मौके पर पहुंचीं। कांडा पुलिस भी तुरंत हरकत में आई और जांच शुरू की। जिला मुख्यालय से तेंदुए को पकड़ने के लिए पिंजरे के साथ एक विशेष टीम को रवाना किया गया।
कपकोट से वन विभाग की एक अन्य टीम भी गांव पहुंची और स्थिति का जायजा लिया। बागेश्वर के डीएफओ ध्रुव मर्तोलिया ने बताया कि तेंदुए को पकड़ने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने ग्रामीणों से सतर्क रहने और रात के समय घर से बाहर न निकलने की अपील की।
यह घटना माणा कभड़ा गांव के लिए पहली नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में तेंदुए के हमले बढ़े हैं। जंगलों के कटने और मानव बस्तियों के जंगल की ओर बढ़ने से तेंदुए जैसे जंगली जानवर अक्सर गांवों में घुस आते हैं। ग्रामीणों ने वन विभाग से तेंदुए के आतंक को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है। इस बीच, नैतिक के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।
गांव में मातम पसरा है और हर कोई इस मासूम की मौत से सदमे में है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि प्रकृति और मानव के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हमें और क्या करना चाहिए।