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22 सितंबर 2022 से जेल में बंद हैं अंकिता के गुनाहगार, सरकार की मजबूत पैरवी के चलते नहीं हो पाई एक भी जमानत

By: Sansar Live Team

On: Friday, May 30, 2025 1:56 PM

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Uttarakhand News : उत्तराखंड के बहुचर्चित Ankita Bhandari Murder Case ने न केवल लोगों के दिलों को झकझोरा, बल्कि यह भी दिखाया कि जब सरकार और न्यायिक व्यवस्था मिलकर काम करें, तो इंसाफ की राह आसान हो जाती है।

22 सितंबर 2022 को तीनों आरोपियों Pulkit Arya, Saurabh Bhaskar और Ankit Gupta की गिरफ्तारी के बाद से, वे एक भी दिन जेल की सलाखों से बाहर नहीं आ पाए। उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) की मजबूत पैरवी और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने इस मामले को एक मिसाल बना दिया।

आइए, इस मामले की गहराई में उतरकर समझें कि कैसे यह केस न्यायिक इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहा है।

तेजी से हुई कार्रवाई, नहीं मिली जमानत

Ankita Bhandari Murder Case में उत्तराखंड पुलिस (Uttarakhand Police) ने संवेदनशीलता और तेजी दिखाई। घटना के 24 घंटों के भीतर ही पुलिस ने तीनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया। तब से लेकर आज तक, Pulkit Arya, Saurabh Bhaskar और Ankit Gupta जेल में ही हैं।

उनकी हर जमानत अर्जी को सरकारी वकीलों ने अपनी मजबूत दलीलों से खारिज करवाया। यह अपने आप में एक बड़ा उदाहरण है, क्योंकि भारतीय न्यायिक व्यवस्था (Indian Judicial System) में अक्सर लंबी जांच के बाद आरोपियों को जमानत मिल जाती है। लेकिन इस मामले में अभियोजन की दमदार पैरवी ने ऐसा होने नहीं दिया। 

अकाट्य सबूतों ने बनाया मजबूत केस

पुलिस ने इस मामले में अपनी जांच को इतना पुख्ता रखा कि कोर्ट में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। चार्जशीट में 100 से अधिक गवाहों के बयान और 500 पन्नों की विस्तृत जानकारी शामिल की गई। इन सबूतों ने न केवल कोर्ट का भरोसा जीता, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि आरोपियों को जमानत की राह न मिले।

उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) ने इस मामले को गंभीरता से लिया और हर कदम पर पीड़ित परिवार के साथ खड़ी रही। यह दृढ़ता न केवल Ankita Bhandari के परिवार को इंसाफ की उम्मीद दे रही है, बल्कि पूरे देश को यह संदेश दे रही है कि अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।

न्यायिक इतिहास में एक मिसाल

Ankita Bhandari Murder Case ने उत्तराखंड की न्यायिक व्यवस्था (Uttarakhand Judicial System) को एक नई पहचान दी है। आमतौर पर लंबी सुनवाई के दौरान आरोपियों को जमानत मिलना आम बात है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। यह सरकार और पुलिस की इच्छाशक्ति का प्रतीक है।

इस केस ने दिखाया कि जब जांच में पारदर्शिता और दृढ़ता हो, तो इंसाफ की राह आसान हो जाती है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनाया और यह सुनिश्चित किया कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले।

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