युवाओं को पॉलिटेक्निक में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित कर रही योगी सरकार
बीते कुछ वर्षों में पॉलिटेक्निक के प्रति युवाओं में उदासीनता देखी गई है, जिसके चलते सरकारी, एडेड और प्राइवेट कॉलेजों में काफी सीटें खाली रह जाती हैं। 'पॉलिटेक्निक चलो अभियान' के तहत युवाओं को पॉलिटेक्निक में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि सीएम योगी कई मंचों से युवाओं को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने के लिए अभियान चलाने की बात कह चुके हैं। हाल ही में उन्होंने एक सभा में कहा था कि प्रदेश सरकार प्रति वर्ष एक लाख सरकारी नौकरियों के साथ 6 लाख निजी नौकरियों का सृजन करेगी। निजी क्षेत्र की यह नौकरियां तकनीकी रूप से सक्षम युवाओं को उपलब्ध कराई जाएंगी।
योगी सरकार के निर्देश पर प्राविधिक शिक्षा विभाग ने राज्य के अंदर पॉलिटेक्निक में प्रवेश की संख्या बढ़ाने के लिए सभी पॉलिटेक्निक संस्थानों को अभियान से जुड़ने के लिए कहा है। इस अभियान का उद्देश्य अधिक से अधिक छात्रों को तकनीकी शिक्षा से जोड़कर उनके रोजगार का प्रबंध करना है। सरकार के प्रयास का असर भी देखने को मिला है।
13 जून तक 3.15 लाख से अधिक युवा पॉलिटेक्निक की संयुक्त प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर चुके हैं। प्रदेश सरकार ने इसी उद्देश्य को फलीभूत करने के लिए बीते कुछ वर्षों में पॉलीटेक्निक की सीटों में कई गुना वृद्धि की है। 2018 में 154 राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थानों में जहां सिर्फ 28,999 सीटें थीं, वहीं 2022 में यह बढ़कर 41,071 हो गईं। इसी तरह 2018 में जहां 19 एडेड पॉलीटेक्निक संस्थानों में 9,911 सीटें थीं, जो 2022 में 9,927 हो गईं।
प्राइवेट पॉलिटेक्निक संस्थानों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई। कुल 1,294 प्राइवेट संस्थानों में 2018 में जहां कुल 1,19,765 सीटें थीं, जो 2022 में बढ़कर 1,87,390 हो गईं। इसी तरह महिला पॉलिटेक्निक संस्थानों में भी सीटों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 19 सरकारी और 2 अनुदानित महिला पॉलिटेक्निक संस्थानों में 2018 में जहां 4,825 सीटें थीं तो वहीं 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 6,203 हो गई।
प्रवक्ता के मुताबिक पॉलिटेक्निक में प्रवेश के लिए अधिक से अधिक आवेदन प्राप्त हों, इसके लिए प्राविधिक शिक्षा विभाग की ओर से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। सभी राजकीय एवं अनुदानित पॉलीटेक्निक संस्थानों को 'पॉलिटेक्निक चलो अभियान 2023' के लिए 10 हजार रुपए का अनुदान दिया गया है। सभी जिलों के जिलाधिकारियों, बेसिक शिक्षा अधिकारियों तथा राजकीय औद्योगिक शिक्षण संस्थानों में भी प्रचार-प्रसार के लिए पत्राचार किया गया।