Ramadan 2024: सवाली कोई है तो आए... रब फैज़ान करता है...

Ramadan 2024: सवाली कोई है तो आए... रब फैज़ान करता है...
 

यामीन विकट 
ठाकुरद्वारा।
चलो अब आ गया मौसम ये नेकी की बहारों का, मिलेगा एक नेकी पर तुम्हे बदला पहाड़ों का। मुनादी आसमां का रोज़ ये ऐलान करता है... सवाली कोई है तो आए रब फैज़ान करता है। 

रमज़ानुल मुबारक के तीसरे जुमे को मुसलमानों ने नमाज़ अदा की। रमज़ान के बारे में बताया जाता है कि रमज़ान सब्र (धैर्य) का महीना है। सब्र अरबी भाषा का शब्द है। जिसका अर्थ होता है रूकना अर्थात रोज़ा का नाम सब्र इस लिए रखा गया है क्योंकि रोज़े का मतलब है गुनाहों से रूकना। रोज़े का मतलब सुबह से शाम तक केवल भूखे रहना नहीं है। रोज़े का मतलब है हर गुनाफ, गीबत, चुगली, झूठ आदि से रूकना। रोज़ा केवल पेट का नहीं बल्कि शरीर के हर भाग का होता है। जैसे आंखों का रोज़ा है कि गलत चीज़ न देखें, मुंह का रोज़ा है कि किसी को बुरा न कहें, झूठ न बोलें, चुगली न करें, पैरों का रोज़ा है कि गलत जगह न जाएं, दिल का रोज़ा है कि दिल में गलत ख्याल न लाएं आदि। यह महीना सभी महीनों में सबसे अफजल है।

शुक्रवार को जामा मस्जिद मरकज वाली में पाक रमजान माह के तीसरे जुम्मे की नमाज़ अदा की गई। नमाज़ से पूर्व मौलाना यामीन कासमी साहब ने तकरीर करते हुए फ़रमाया कि लोगों रमजान माह की क़दर करो इसमें आम दिनों के मुकाबले एक नेकी भी सत्तर गुना ज्यादा है। 

उन्होंने जकात के बारे में कहा कि हर मुस्ताहिक मुस्लमान पर 2.50% अपने माल की जकात फ़र्ज़ है और इसे ज़रूर निकाले वरना गुनाह होगा। इस दौरान उन्होंने रमज़ान माह की दीगर फ़ज़ीलत का बयान भी किया। नमाज़ के बाद मुल्क और कोम की तरक़्क़ी व खुशहाली बीमार लोगो और फलस्तीन के मुसलमानो के लिए दुआएं मांगी गई। इस दौरान भारी तादात में नमाजी मौजूद रहे। उधर नगर की छिपियान मस्ज़िद में भी मौलाना अब्दुल ख़ालिक़ ने जुमे की नमाज़ अदा कराने के बाद मुल्क की तरक्की व खुशहाली के लिए दुआ कराई मस्ज़िद छिपियान में भी भारी तादाद में नमाज़ी मौजूद रहे।