Almora News : उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में बसे अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज, जो कभी इस क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए जीवन का आधार माना जाता था, आज स्वास्थ्य सेवाओं की गहरी बदहाली का शिकार है।
ऑक्सीजन की कमी, विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव, खराब पड़ी सीटी स्कैन मशीन, और गर्भवती महिलाओं को अनावश्यक रूप से दूरस्थ शहरों में रेफर करने की प्रथा ने इस संस्थान को संकट के कगार पर ला खड़ा किया है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय पांडे ने इस स्थिति पर तीखा प्रहार करते हुए प्रशासन की उदासीनता को जनता के जीवन के साथ खिलवाड़ बताया है।
ऑक्सीजन की कमी
अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट और बूस्टर उपकरण की स्थापना संजय पांडे के अथक प्रयासों का परिणाम है। लेकिन यह विडंबना ही है कि इन सुविधाओं के बावजूद स्थानीय लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर रिफिल कराने के लिए हल्द्वानी या रुद्रपुर जैसे दूर के शहरों का रुख करना पड़ता है।
यह स्थिति न केवल असुविधाजनक है, बल्कि गंभीर मरीजों के लिए जानलेवा भी साबित हो रही है। संजय पांडे ने इस मुद्दे को महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य और मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर उठाया है, लेकिन प्रशासन की चुप्पी निराशाजनक है।
सीटी स्कैन मशीन
मेडिकल कॉलेज में सीटी स्कैन मशीन कई हफ्तों से खराब पड़ी है। हृदय रोग, कैंसर, और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं जैसे गंभीर रोगों के निदान में यह मशीन अहम भूमिका निभाती है। इसकी खराबी के कारण मरीजों को लंबा इंतजार और अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासन की ओर से इस महत्वपूर्ण उपकरण की मरम्मत या प्रतिस्थापन के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है, जो लाखों लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुका है।
गर्भवती महिलाओं का अनावश्यक रेफरल
अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में गर्भवती महिलाओं को बार-बार हल्द्वानी रेफर करना एक गंभीर समस्या बन चुकी है। सामान्य प्रसव के मामलों में भी स्थानीय स्तर पर उपचार की बजाय उन्हें दूर भेजा जा रहा है, जो न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को दर्शाता है, बल्कि मां और शिशु दोनों के जीवन को खतरे में डालता है। यह स्थिति प्रशासन की संवेदनहीनता और लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों का अभाव
पहाड़ी क्षेत्रों में हृदय रोग और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आम हैं, लेकिन अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, नेफ्रोलॉजिस्ट जैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति आज भी अधूरी है। इस कमी के कारण मरीजों को उचित समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा, जिससे उनकी जान जोखिम में पड़ रही है। प्रशासन की यह नाकामी पहाड़ी जनता के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य आपदा बन चुकी है।
दवा वितरण की अव्यवस्था
मेडिकल कॉलेज का दवा वितरण काउंटर इतना छोटा और अव्यवस्थित है कि मरीजों को घंटों कतार में खड़ा रहना पड़ता है। यह व्यवस्था मरीजों की तकलीफ को और बढ़ा देती है। एक सुव्यवस्थित और विस्तारित दवा वितरण प्रणाली की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं दिख रही।
स्वास्थ्य मंत्री के दौरे पर मौन
हाल ही में उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के दौरान मेडिकल कॉलेज के प्रशासन, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, और जिलाधिकारी मौजूद थे। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से किसी ने भी इन गंभीर मुद्दों को उनके सामने नहीं उठाया। यह मौन न केवल जनता के प्रति अन्याय है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि जनहित के प्रति कितने उदासीन हैं।
संजय पांडे की मांगें
संजय पांडे ने प्रशासन को सात दिन का अल्टिमेटम देते हुए स्पष्ट मांगें रखी हैं। इनमें ऑक्सीजन प्लांट का 24×7 संचालन, सीटी स्कैन मशीन की तत्काल मरम्मत, गर्भवती महिलाओं के अनावश्यक रेफरल पर रोक, विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति, और दवा वितरण व्यवस्था का सुधार शामिल है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो जनता के साथ मिलकर शांतिपूर्ण आंदोलन और कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह केवल एक मांग नहीं, बल्कि पहाड़ी जनता की जिंदगी बचाने का सवाल है।