Pithoragarh : उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ में एक हादसा हुआ है जिसने सबको हिला कर रख दिया। देवलथल तहसील के दूरस्थ गांव धुरौली में सोमवार शाम को अचानक लगी आग ने चार परिवारों की जिंदगी उजाड़ दी। देखते-देखते चार पक्के मकान जलकर खाक हो गए और लोग सड़क पर आ गए। सबसे दर्दनाक बात ये कि अब उनके पास बदन पर कपड़ों के अलावा कुछ भी नहीं बचा।
गांव का नाम धुरौली, मुसीबत की शाम सोमवार
धुरौली गांव देवलथल तहसील मुख्यालय से करीब दो किलोमीटर पैदल दूरी पर है। सड़क यहां तक नहीं पहुंचती, इसलिए फायर ब्रिगेड आने का सवाल ही नहीं उठता। शाम के समय सबसे पहले ललित सिंह के घर में आग दिखी। लपटें इतनी तेज थीं कि पड़ोस के गंभीर सिंह, चंदर सिंह और सुरेंद्र सिंह के घर भी चपेट में आ गए। कुछ ही घंटों में चारों मकान जलकर राख हो गए।
ललित सिंह का परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ। उनके घर में रखा सारा राशन, नकदी और लाखों रुपये के सोने-चांदी के गहने सब जल गए। परिवार के लोग सदमे में हैं। बाकी तीन परिवारों को थोड़ा समय मिला, इसलिए उन्होंने जल्दी-जल्दी गहने और जरूरी कपड़े निकाल लिए, लेकिन मकान तो उनके भी नहीं बचे।
ग्रामीणों ने पूरी रात लड़ाई लड़ी, लेकिन आग जीत गई
गांव में बिजली भी देर रात तक नहीं थी। अंधेरे में ग्रामीण बाल्टी-बाल्टी पानी लेकर दौड़ते रहे। महिलाएं, बच्चे, बूढ़े सब लगे थे, लेकिन लकड़ी और घास-फूस से बने छतों ने आग को और भड़काया। देर रात तक कोशिशें चलती रहीं, पर आग पर काबू नहीं पाया जा सका। सुबह जब धुआं थमा तो सिर्फ जली हुई दीवारें और राख का ढेर दिखाई दिया।
पिथौरागढ़ जैसे पहाड़ी इलाकों में सर्दियों में आग लगने की घटनाएं आम हैं। घरों में लकड़ी का इस्तेमाल ज्यादा होता है, बिजली की तारें पुरानी होती हैं और पानी का स्रोत दूर। छोटी सी चिंगारी भी बड़ा हादसा बन जाती है। पिछले कुछ सालों में अकेले पिथौरागढ़ जिले में ही दर्जनों परिवार ऐसे आग की भेंट चढ़ चुके हैं।
अब सिर छिपाने की जगह भी नहीं
पूर्व जिला पंचायत सदस्य जगदीश कुमार खुद गांव के हैं। वे बताते हैं कि पीड़ित परिवारों के पास अब रहने की कोई जगह नहीं बची। सर्दी का मौसम है, रात का तापमान शून्य के करीब पहुंच रहा है। बच्चे और बुजुर्ग खुली ठंड में हैं। लोग रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर में किसी तरह रात काट रहे हैं।
प्रशासन की तरफ से राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंच चुकी है। डीडीहाट की एसडीएम खुशबू पांडे ने कहा है कि नुकसान का पूरा आकलन किया जाएगा और जितनी जल्दी हो सके राहत पहुंचाई जाएगी। उत्तराखंड सरकार की आपदा राहत नीति के तहत ऐसे मामलों में मकान जलने पर 95 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपये तक की मदद मिलती है, साथ ही कपड़े, बर्तन और राशन किट भी दी जाती है। उम्मीद है जल्दी ये परिवारों तक पहुंचे।
पहाड़ों में जिंदगी पहले से मुश्किल है। ऐसे हादसे जब आते हैं तो लोग सालों पीछे चले जाते हैं। लेकिन उत्तराखंड के लोग हिम्मत नहीं हारते। उम्मीद करते हैं प्रशासन फौरन मदद करेगा और ये परिवार फिर से अपने पैरों पर खड़े हो सकेंगे।
