देहरादून : उत्तराखंड के दुर्गम इलाकों में अब हवाई यात्रा सपनों की बात नहीं रह गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूरगामी सोच ने गढ़वाल मंडल को भी आसमान से जोड़ दिया है। शनिवार 6 दिसंबर 2025 को जॉलीग्रांट एयरपोर्ट से टिहरी, श्रीनगर और गौचर के लिए हेलीकॉप्टर सेवा शुरू हो गई। यह सिर्फ एक नई उड़ान नहीं, बल्कि पहाड़ों की जिंदगी को आसान बनाने की मजबूत शुरुआत है।
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पहाड़ों की दूरी अब मिनटों में
पहले जहाँ देहरादून से गौचर जाने में 8-10 घंटे लगते थे, वहीं अब यह सफर महज डेढ़ घंटे में पूरा हो जाएगा। खराब सड़कें, भूस्खलन और लंबी दूरी की परेशानी अब अतीत की बात हो रही है। खासकर बारिश के दिनों में जब सड़कें बंद हो जाती हैं, तब हेलीकॉप्टर सेवा जीवनरक्षक साबित होगी। मरीजों को तुरंत अस्पताल पहुँचाना, आपदा राहत और जरूरी सामान की ढुलाई – सब कुछ अब बहुत तेज़ और सुरक्षित हो गया है।
रोज़ाना दो उड़ानें, किफायती किराया
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी उड़ान योजना (RCS-UDAN) के तहत शुरू हुई यह 6-सीटर हेलीकॉप्टर सेवा रोज़ाना दो बार चलेगी।
सुबह 10:15 बजे जॉलीग्रांट से उड़ान भरकर टिहरी (कोटी कॉलोनी हेलीपैड), श्रीनगर और फिर गौचर पहुँचेगी। वापसी सुबह 11 बजे।
दूसरी उड़ान दोपहर 2:30 बजे उसी रूट पर चलेगी।
किराया भी आम आदमी के बजट में रखा गया है:
- देहरादून से टिहरी – ₹2000
- टिहरी से श्रीनगर – ₹1000
- श्रीनगर से गौचर – ₹1000
पहले दिन ही यात्रियों ने इसे हाथों-हाथ लिया। सुबह की फ्लाइट में गौचर जाने वाले 3 यात्री और दोपहर में टिहरी-गौचर जाने वाले 5 यात्री सवार हुए।
यात्रियों ने कहा – “अब पहाड़ भी आसान लगते हैं”
गोपेश्वर जा रहे विकास चौहान ने बताया, “पहले एक दिन की छुट्टी सिर्फ सफर में खराब हो जाती थी। अब सुबह निकलो और दोपहर तक पहुँच जाओ। इमरजेंसी में तो यह वरदान साबित होगी। धामी जी का शुक्रिया, जिन्होंने हमारी मुश्किलों को समझा।”
पर्यटक भी खुश हैं। टिहरी झील और गौचर के आसपास घूमने आने वाले लोग अब सीधे हेलीकॉप्टर से पहुँच रहे हैं। इससे होटल, होमस्टे और लोकल गाइड्स को भी नया कारोबार मिल रहा है।
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कुमाऊँ के बाद अब गढ़वाल की बारी
इससे पहले धामी सरकार ने कुमाऊँ में नैनीताल, पिथौरागढ़, मुनस्यारी, चंपावत और अल्मोड़ा को हवाई सेवा से जोड़ा था। अब गढ़वाल में भी यही सुविधा आ गई है। आने वाले दिनों में और नए रूट खुलने की उम्मीद है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि उत्तराखंड का कोई भी कोना हवाई सेवा से अछूता न रहे।
