देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में इन दिनों नशे के खिलाफ जंग तेज हो गई है। मुख्यमंत्री के “ड्रग्स फ्री देवभूमि 2025” सपने को हकीकत बनाने के लिए पुलिस दिन-रात एक कर रही है। इसी कड़ी में सेलाकुई पुलिस ने तीन युवकों को 329 ग्राम अवैध चरस के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया। ये लोग जल्दी अमीर बनने के चक्कर में नशे की दलदल में फंस गए थे।
लालच ने बना दिया अपराधी
ये तीनों युवक मजदूरी करके अपना गुजारा करते थे। एक दिन उनकी मुलाकात नरेश नाम के शख्स से हुई, जिसने उन्हें चरस बेचकर मोटा मुनाफा कमाने का लालच दिया। बस फिर क्या था, ये लोग इस गलत रास्ते पर चल पड़े। चरस खरीदी, स्कूटी पर लादकर स्थानीय नशेड़ियों और कॉलेज के छात्रों को बेचने की तैयारी की। लेकिन पुलिस की नजर उन पर पहले ही पड़ चुकी थी।
पुलिस ने कैसे पकड़ा?
सेलाकुई थाना क्षेत्र में चल रहे विशेष चेकिंग अभियान के दौरान पुलिस को सूचना मिली कि कुछ लोग नशे का सामान लेकर घूम रहे हैं। तुरंत टीम ने कार्रवाई की। स्कूटी रोकते ही सच्चाई सामने आ गई। 329 ग्राम चरस, 19 हजार रुपये नकद और तस्करी में इस्तेमाल स्कूटी जब्त कर ली गई। तीनों को एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया।
यह कार्रवाई क्यों है खास?
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. अनिल शर्मा बताते हैं, “उत्तराखंड में नशे की तस्करी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि यहां से हिमाचल, पंजाब और दिल्ली का रास्ता आसान है। ज्यादातर तस्कर गरीब और कम पढ़े-लिखे युवकों को अपना शिकार बनाते हैं। ये लोग सोचते हैं कि एक-दो बार माल बेचकर जिंदगी बदल जाएगी, लेकिन सच ये है कि जेल और बर्बादी ही हाथ लगती है।”
पिछले एक साल में देहरादून पुलिस ने 200 से ज्यादा नशा तस्करों को पकड़ा है। इससे न सिर्फ सड़कों पर नशे की सप्लाई कम हुई है बल्कि कई युवाओं की जिंदगी भी बची है।
समाज के लिए क्या है संदेश?
ये मामला एक बार फिर बताता है कि नशे का कारोबार कितना खतरनाक है। यह सिर्फ तस्करों की जिंदगी नहीं बर्बाद करता, बल्कि हजारों परिवारों को तबाह करता है। अगर कोई दोस्त या जानकार आपको “आसान पैसे” का लालच दे, तो तुरंत पुलिस को बताएं। एक फोन कॉल किसी की जिंदगी बचा सकता है।
पुलिस अब मुख्य सरगना नरेश की तलाश कर रही है। उम्मीद है जल्द ही वह भी सलाखों के पीछे होगा।
