---Advertisement---

Dehradun : राज्यसभा में आयुर्वेद की जोरदार वकालत, सांसद नरेश बंसल ने रखे 7 बड़े सुझाव

By: Sansar Live Team

On: Thursday, December 4, 2025 10:49 AM

Google News
Follow Us
---Advertisement---

देहरादून : देहरादून के भाजपा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय सह-कोषाध्यक्ष डॉ. नरेश बंसल ने राज्यसभा में कुछ ऐसा कहा जो लाखों आयुर्वेद प्रेमियों का दिल जीत गया। उन्होंने विशेष उल्लेख के दौरान आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा को मुख्यधारा की स्वास्थ्य व्यवस्था में बराबरी का दर्जा दिलाने की जोरदार वकालत की।

भारत की अपनी चिकित्सा पद्धति क्यों पीछे छूट रही है?

डॉ. बंसल ने सदन को याद दिलाया कि आयुर्वेद और योग सिर्फ़ इलाज नहीं करते, बल्कि बीमारियों को होने से पहले ही रोकने की ताकत रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से लेकर आयुष मिशन तक इन पद्धतियों को दुनिया के सामने लेकर आए हैं। फिर भी हमारे अपने स्वास्थ्य मंत्रालय का कुल बजट करीब 1 लाख करोड़ रुपये है, जबकि आयुष मंत्रालय को सिर्फ़ 4-5 हज़ार करोड़ ही मिल पाते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बजट का भारी अंतर ही आयुर्वेद के शोध, अस्पतालों और दवाओं के विकास में सबसे बड़ी रुकावट है। देश में 8 लाख से ज़्यादा रजिस्टर्ड आयुष चिकित्सक हैं, लेकिन उन्हें आधुनिक चिकित्सा के डॉक्टरों जितनी सुविधाएँ और अधिकार नहीं मिलते।

सांसद ने रखे सात ठोस सुझाव

डॉ. नरेश बंसल ने सरकार से सात व्यावहारिक कदम उठाने की अपील की है जो आयुर्वेद को नई ऊँचाई दे सकते हैं:

पहला आयुष्मान भारत योजना में आयुर्वेदिक इलाज को पूरी तरह शामिल किया जाए ताकि गरीब से गरीब व्यक्ति भी इसका लाभ ले सके।

दूसरा पुराने ब्रिटिश काल के ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट को हटाकर एक नया यूनिफॉर्म हेल्थकेयर कोड लाया जाए।

तीसरा आयुर्वेदिक दवाओं के स्टार्टअप और रिसर्च को विशेष अनुदान और टैक्स छूट दी जाए।

चौथा आयुष मंत्रालय का बजट कम से कम पाँच गुना बढ़ाया जाए।

पाँचवाँ सभी मेडिकल कोर्सेज़ का पहला साल कॉमन रखा जाए, ताकि हर डॉक्टर को आयुर्वेद और एलोपैथी दोनों की बेसिक समझ हो।

छठा आयुष डॉक्टरों को एक्स-रे, एमआरआई पढ़ने और ज़रूरी सर्जरी करने की कानूनी अनुमति मिले।

सातवाँ स्कूलों में दसवीं क्लास तक आयुर्वेद और योग को अनिवार्य विषय बनाया जाए, जैसा कि नीति आयोग भी सुझा चुका है।

यह माँग क्यों ज़रूरी है?

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. आर.एस. शर्मा (पूर्व सलाहकार, आयुष मंत्रालय) कहते हैं, “कोरोना काल में आयुर्वेदिक इम्यूनिटी बूस्टर ने जिस तरह काम किया, उसने साबित कर दिया कि हमारी पुरानी चिकित्सा पद्धति आज भी प्रासंगिक है। अगर बजट और कानूनी बराबरी मिले तो भारत न सिर्फ़ अपने लोगों को सस्ता-सहज इलाज दे सकता है, बल्कि हेल्थ टूरिज्म में दुनिया का नंबर-1 देश बन सकता है।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कह चुका है कि 2030 तक दुनिया की 60% आबादी पारंपरिक चिकित्सा पर निर्भर रहेगी। ऐसे में अपनी विरासत को मजबूत करना हमारे लिए सामरिक महत्व का विषय है।

अब सबकी निगाहें सरकार पर

डॉ. नरेश बंसल ने अंत में कहा, “यह सिर्फ़ एक चिकित्सा पद्धति का सवाल नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और आत्मनिर्भर भारत का सवाल है। समय आ गया है कि हम अपनी धरोहर को वह सम्मान दें जिसकी वह हकदार है।”

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment