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Dehradun : एसएसपी की सख्ती से थरथराए तस्कर, 14 दुर्लभ कछुए बरामद

By: Sansar Live Team

On: Thursday, December 4, 2025 10:20 AM

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देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून इन दिनों अपराध और अवैध गतिविधियों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की मिसाल पेश कर रही है। एसएसपी दलबीर सिंह के सख्त निर्देशों के बाद पूरे जिले में चलाया जा रहा लगातार चेकिंग अभियान रंग ला रहा है। ताजा मामला ऋषिकेश-देहरादून हाईवे का है, जहाँ एक दंपती को संरक्षित कछुओं की तस्करी करते रंगे हाथों पकड़ा गया।

सुबह-सुबह हाईवे पर रुकी लाल कार, निकले 14 जिंदा कछुए

4 दिसंबर 2025 की सुबह रायवाला थाना क्षेत्र में पुलिस की नाकेबंदी चल रही थी। रायवाला कोतवाली के ठीक सामने एक लाल रंग की KUV-100 कार को रोका गया। गाड़ी में सवार थे ऋषिकेश के सपेरा बस्ती निवासी 35 साल के बेताब नाथ और उनकी पत्नी बरखा।

जब पुलिस ने डिग्गी खोलकर देखी तो सब हैरान रह गए — प्लास्टिक की बोरी में 14 जिंदा कछुए कराह रहे थे। ये कोई साधारण कछुए नहीं थे, बल्कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की सूची-1 में आने वाली संरक्षित प्रजाति के थे। दंपती के पास न तो कोई वैध कागजात थे और न ही कोई संतोषजनक जवाब। दोनों को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

नजीबाबाद से ऋषिकेश… मुनाफे का खतरनाक खेल

पूछताछ में बेताब नाथ ने कबूल किया कि वह कबाड़ का काम करता है। उसने इन कछुओं को नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) के एक शख्स से सस्ते में खरीदा था। प्लान था कि इन्हें ऋषिकेश और आसपास के इलाकों में शौकीन खरीदारों को 5 से 15 हज़ार रुपये प्रति कछुआ बेचकर मोटा मुनाफा कमाया जाए।

जानकार बताते हैं कि उत्तर भारत में कुछ लोग इन कछुओं को पूजा-पाठ, ज्योतिष या फिर पालतू जानवर के रूप में खरीदते हैं। अवैध बाजार में एक अच्छी प्रजाति का कछुआ 20 हज़ार तक बिक जाता है।

ये कछुए क्यों इतने खास और संरक्षित हैं?

भारत में कई प्रजातियाँ के कछुए विलुप्ति के कगार पर हैं। भारतीय फ्लैपशेल कछुआ, इंडियन सॉफ्टशेल कछुआ और ब्लैक स्पॉटेड कछुआ जैसी प्रजातियाँ शेड्यूल-1 में शामिल हैं — यानी इनका शिकार या व्यापार बाघ-हाथी जितना ही गंभीर अपराध है।

वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. अनीश चौधरी (काल्पनिक नाम) कहते हैं, “एक कछुए को परिपक्व होने में 10-15 साल लगते हैं। तस्करी के कारण इनकी आबादी तेजी से घट रही है। नदियों और तालाबों का इकोसिस्टम बिगड़ रहा है। एक छोटी सी कार की डिग्गी में 14 कछुए मिलना कोई छोटी घटना नहीं है।”

पुलिस की मुहिम क्यों है कारगर?

देहरादून एसएसपी दलबीर सिंह ने पिछले कुछ महीनों में जिले को अपराधमुक्त बनाने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। रोजाना सैकड़ों वाहनों की चेकिंग, नाइट डोमिनेशन और खुफिया तंत्र को मजबूत करना — इन सबका नतीजा है कि नशे की तस्करी से लेकर वन्यजीव तस्करी तक हर अपराध पर लगाम लग रही है।

रायवाला थाना प्रभारी राजेंद्र सिंह खोलिया की टीम ने इस बार फिर साबित कर दिया कि अलर्ट पुलिस किसी भी अपराधी को बचने नहीं देगी।

आखिर हम सबके लिए ये खबर क्यों मायने रखती है?

हम सोचते हैं कि एक कछुए का क्या फर्क पड़ेगा? लेकिन सच ये है कि प्रकृति का चेन एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। जब संरक्षित प्रजातियाँ गायब होती हैं तो पूरा पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है। आप जब भी कहीं कोई जिंदा जानवर बेचते या खरीदते देखें — चाहे कछुआ हो, तोता हो या स्टार टॉर्टॉइज — तुरंत 112 या वन विभाग को सूचना दें। आपकी एक कॉल कई जिंदगियाँ बचा सकती है।

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