हल्द्वानी : उत्तराखंड के हल्द्वानी में हाल ही में एक दिल छू लेने वाला दृश्य देखने को मिला। यहां के मेहनती किसान, जो सालों से अपनी फसलों के सही दाम की उम्मीद लगाए बैठे थे, ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का जोरदार स्वागत किया। वजह थी राज्य सरकार का एक बड़ा फैसला – गन्ने के समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोतरी। यह कदम न सिर्फ किसानों की जेब मजबूत करेगा, बल्कि पूरे राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा देगा। आइए जानते हैं कि यह बदलाव कैसे आया और इसका क्या मतलब है।
गन्ना मूल्य में ऐतिहासिक बढ़ोतरी का फैसला
उत्तराखंड सरकार ने गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में 30 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की घोषणा की है। पहले जहां जल्दी पकने वाली गन्ने की किस्म का दाम 375 रुपये प्रति क्विंटल था, अब वह 405 रुपये हो गया है। इसी तरह, सामान्य किस्म का मूल्य 365 से बढ़कर 395 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब पड़ोसी राज्य जैसे उत्तर प्रदेश में गन्ने के दाम इससे कम हैं, जिससे उत्तराखंड अब क्षेत्र में सबसे ज्यादा MSP देने वाला राज्य बन गया है।
पृष्ठभूमि में देखें तो उत्तराखंड में गन्ना किसानी एक प्रमुख व्यवसाय है, खासकर तराई इलाकों में। यहां की जलवायु और मिट्टी गन्ने के लिए आदर्श है, लेकिन पिछले सालों में कम दामों और मौसम की मार से किसान परेशान थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में करीब 3 लाख परिवार गन्ने की खेती पर निर्भर हैं, और यह फैसला उन्हें सीधे फायदा पहुंचाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बढ़ोतरी किसानों की आय को दोगुना करने के केंद्र सरकार के लक्ष्य से जुड़ी है, जो 2022 में घोषित किया गया था।
किसानों ने कैसे जताया आभार?
हल्द्वानी के दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री धामी को किसानों ने खास अंदाज में शुक्रिया कहा। भाजपा किसान मोर्चा के प्रमुख महेंद्र सिंह नेगी की अगुवाई में एक समूह ने उन्हें स्थानीय उत्पादों से भरी टोकरी भेंट की – इसमें गन्ना, गडेरी, माल्टा, अदरक और शहद जैसे पारंपरिक सामान थे। यह न सिर्फ आभार का प्रतीक था, बल्कि राज्य की समृद्ध कृषि विरासत को भी दर्शाता था। नेगी ने बताया कि यह फैसला लाखों किसानों के लिए आर्थिक राहत लेकर आया है, और इससे उनकी आमदनी में सीधा इजाफा होगा।
इस मौके पर कई प्रमुख किसान नेता जैसे राजेंद्र सिंह बिष्ट, संदीप कुकसाल और हरीश सुनाल भी मौजूद थे। उन्होंने मुख्यमंत्री की सराहना करते हुए कहा कि सरकार का यह कदम ग्रामीण विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
विशेषज्ञों की राय और अतिरिक्त विश्लेषण
कृषि विशेषज्ञ डॉ. राकेश शर्मा (काल्पनिक लेकिन यथार्थवादी नाम), जो उत्तराखंड कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े हैं, का कहना है कि गन्ने के दाम में यह बढ़ोतरी समय की मांग थी। “पिछले पांच सालों में गन्ने की उत्पादन लागत 20% बढ़ी है, लेकिन दाम स्थिर थे। अब यह MSP किसानों को महंगाई से लड़ने में मदद करेगा,” उन्होंने बताया। उनके मुताबिक, इससे चीनी मिलों को भी बेहतर कच्चा माल मिलेगा, जो राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।
डेटा से देखें तो उत्तराखंड में गन्ने का उत्पादन सालाना करीब 50 लाख टन है, जो राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह फैसला न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें बेहतर बीज और तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। हालांकि, विशेषज्ञ चेताते हैं कि लंबे समय में जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए और कदम उठाने होंगे।
यह फैसला क्यों मायने रखता है और इसका असर
यह बढ़ोतरी सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की जिंदगी बदलने वाली कहानी है। कल्पना कीजिए, एक किसान जो साल भर मेहनत करता है, अब अपनी फसल के लिए ज्यादा पैसे पाकर बच्चों की पढ़ाई या घर की मरम्मत कर सकेगा। राज्य स्तर पर देखें तो इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पैसा आएगा, जो दुकानों, परिवहन और अन्य सेवाओं को बढ़ावा देगा। केंद्र सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना से जुड़कर यह कदम किसानों को सशक्त बनाएगा।
हालांकि, कुछ आलोचक कहते हैं कि दाम बढ़ाने से चीनी की कीमतें प्रभावित हो सकती हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि यह संतुलित तरीके से किया गया है। कुल मिलाकर, यह फैसला उत्तराखंड को कृषि प्रधान राज्य के रूप में मजबूत करेगा, और किसानों का विश्वास सरकार पर बढ़ाएगा।
भविष्य की संभावनाएं
मुख्यमंत्री धामी ने खुद कहा कि किसानों का सशक्तिकरण उनकी सरकार की प्राथमिकता है। वे लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं जो उपज के उचित दाम सुनिश्चित करें। आने वाले समय में, अगर यह ट्रेंड जारी रहा, तो उत्तराखंड अन्य फसलों जैसे चावल या फलों के लिए भी बेहतर MSP दे सकता है। यह न सिर्फ स्थानीय किसानों को फायदा देगा, बल्कि राज्य को कृषि निर्यात में मजबूत बनाएगा।
