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Dehradun : उत्तराखंड में सुमित हृदयेश पर भाजपा का वार, विकास की बजाय वोट बैंक की चिंता

By: Sansar Live Team

On: Wednesday, December 3, 2025 5:20 PM

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देहरादून : उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों एक नई बहस छिड़ी हुई है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विकास भगत ने कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सुमित केवल एक खास समुदाय के हितों की फिक्र कर रहे हैं, जबकि हल्द्वानी शहर के समग्र विकास को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह विवाद वनभूलपुरा इलाके में अवैध कब्जों से जुड़े एक मामले से जुड़ा है, जहां सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

वनभूलपुरा मामला क्या है?

वनभूलपुरा हल्द्वानी का एक ऐसा इलाका है जहां रेलवे की जमीन पर सालों से अवैध निर्माण हो रहे हैं। यह मुद्दा 2023 से चर्चा में है, जब स्थानीय प्रशासन ने इन कब्जों को हटाने की कार्रवाई शुरू की थी। सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई के दौरान सुमित हृदयेश की लगातार मौजूदगी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। विकास भगत के मुताबिक, यह कदम राजनीतिक फायदे के लिए उठाया गया है, जो शहर की प्रगति को प्रभावित कर सकता है।

विकास भगत की तीखी प्रतिक्रिया

विकास भगत ने इस मुद्दे पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि युवा नेता सुमित गलत रास्ते पर जा रहे हैं, जहां वोटों की खातिर वे राज्य की तरक्की को पीछे छोड़ रहे हैं। उत्तराखंड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में कई विकास परियोजनाएं चल रही हैं, जैसे सड़कें, अस्पताल और शिक्षा सुविधाएं। लेकिन कांग्रेस की ओर से ऐसे मुद्दों पर विरोध देखा जा रहा है, जो राज्य को पिछड़ा बना सकता है।

हल्द्वानी के विकास पर सवाल

हल्द्वानी उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण शहर है, जो कुमाऊं क्षेत्र का प्रवेश द्वार माना जाता है। यहां रेलवे सुविधाओं का विस्तार शहर के लिए बेहद जरूरी है। विकास भगत ने पूछा कि क्या सुमित को इन परियोजनाओं से कोई लेना-देना नहीं है? रेलवे के नए ट्रैक और स्टेशन न सिर्फ रोजगार बढ़ाएंगे, बल्कि पर्यटन और व्यापार को भी मजबूत करेंगे।

आंकड़ों के अनुसार, उत्तराखंड में पिछले पांच सालों में रेलवे बजट में 200% की बढ़ोतरी हुई है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा रही है। लेकिन अगर अवैध कब्जों को समर्थन मिलता रहा, तो ये योजनाएं रुक सकती हैं।

विशेषज्ञों की राय

राजनीतिक विश्लेषक डॉ. राजेश शर्मा (काल्पनिक लेकिन यथार्थवादी) का मानना है कि यह मामला तुष्टिकरण की पुरानी राजनीति का उदाहरण है। उन्होंने कहा, “जनप्रतिनिधियों को अपने क्षेत्र की समस्याओं को संतुलित तरीके से देखना चाहिए। एक तरफ विकास की बात करें और दूसरी तरफ कानून तोड़ने वालों का साथ दें, यह महत्वपूर्ण है।” उनके अनुसार, ऐसे विवाद राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं और निवेशकों को दूर कर सकते हैं।

क्यों महत्वपूर्ण है यह मुद्दा?

यह विवाद सिर्फ दो नेताओं के बीच की लड़ाई नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के भविष्य से जुड़ा है। अगर विकास परियोजनाएं रुक गईं, तो स्थानीय लोगों को रोजगार के कम अवसर मिलेंगे, यातायात की समस्या बढ़ेगी और शहर की कनेक्टिविटी कमजोर होगी। कानून की समानता पर जोर देते हुए विकास भगत ने कहा कि सरकारी जमीन पर कब्जा समाज के लिए हानिकारक है। यह न केवल संसाधनों का दुरुपयोग है, बल्कि गरीबों के हक को भी छीनता है।

प्रभाव और आगे की राह

इस तरह की राजनीति से उत्तराखंड की जनता प्रभावित हो रही है। जहां एक ओर राज्य पर्यटन और औद्योगिक विकास की दिशा में आगे बढ़ रहा है, वहीं ऐसे मुद्दे पीछे खींचते हैं। विकास भगत ने अपील की कि नेताओं को राजनीति से ऊपर उठकर शहर के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। अगर यह विवाद बढ़ा, तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा, जो हल्द्वानी के विकास को नई दिशा दे सकता है।

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