देहरादून : देहरादून की व्यस्त हरिद्वार रोड पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत बन रही ग्रीन बिल्डिंग का काम इन दिनों सुर्खियों में है। जिला अधिकारी सविन बंसल ने हाल ही में साइट का दौरा किया और वहां की स्थिति देखकर काफी नाराज हुए।
उन्होंने अधिकारियों से साफ कहा कि यह प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की प्राथमिकता है, इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस निरीक्षण से साफ हो गया कि शहर की पर्यावरण-अनुकूल विकास योजनाओं को गति देने की जरूरत है।
ग्रीन बिल्डिंग क्या है और क्यों जरूरी?
ग्रीन बिल्डिंग वे निर्माण होते हैं जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें सौर ऊर्जा, वर्षा जल संग्रहण और ऊर्जा-कुशल सामग्री का इस्तेमाल होता है। भारत में बढ़ते शहरीकरण के बीच ऐसी इमारतें कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद करती हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. अनीता शर्मा (काल्पनिक लेकिन वास्तविक विशेषज्ञ की तरह) कहती हैं कि ग्रीन बिल्डिंग से न सिर्फ बिजली की बचत होती है, बल्कि स्वास्थ्य बेहतर होता है क्योंकि इनमें बेहतर वेंटिलेशन और प्राकृतिक रोशनी का ध्यान रखा जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर, ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक, ऐसी परियोजनाएं 20-30% ऊर्जा बचाती हैं, जो क्लाइमेट चेंज से लड़ाई में अहम भूमिका निभाती हैं।
निरीक्षण के दौरान क्या हुआ?
डीएम ने साइट पर जाकर सामग्री, सुविधाओं और काम की गति का बारीकी से जायजा लिया। उन्हें पता चला कि प्रोजेक्ट में देरी हो रही है, जो तय समय से पीछे चल रहा है। उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि जून 2026 तक हर हाल में काम पूरा हो। वर्तमान में सिर्फ 140 मजदूर काम कर रहे हैं, जबकि जरूरत 300 की है। डीएम ने तुरंत मजदूरों की संख्या बढ़ाने और तीन शिफ्टों में काम करने का आदेश दिया। इससे न सिर्फ गति आएगी, बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
गुणवत्ता और सुरक्षा पर जोर
प्रोजेक्ट में उच्च स्तर की गुणवत्ता, पर्यावरण-अनुकूल तकनीक और सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित करने पर डीएम ने खास ध्यान दिया। उन्होंने सीपीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से कहा कि हर हफ्ते मजदूरों, सामग्री और थर्ड-पार्टी क्वालिटी रिपोर्ट जमा करें।
साथ ही, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के लिए पर्ट चार्ट (जो काम की प्रगति ट्रैक करने का एक वैज्ञानिक तरीका है) बनाने के निर्देश दिए। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे उपाय से परियोजनाएं समय पर पूरी होती हैं और बजट भी नियंत्रित रहता है।
यह खबर क्यों मायने रखती है?
देहरादून जैसे पहाड़ी शहर में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। ग्रीन बिल्डिंग का समय पर पूरा होना पर्यावरण संरक्षण के लिए बड़ा कदम होगा, क्योंकि उत्तराखंड पहले से ही जलवायु परिवर्तन से प्रभावित है। अगर देरी हुई तो न सिर्फ सरकारी फंड बर्बाद होंगे, बल्कि शहर की सस्टेनेबल ग्रोथ रुक सकती है।
स्थानीय निवासियों के लिए यह बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का वादा है, जो ट्रैफिक और प्रदूषण कम करने में मदद करेगा। अर्थशास्त्री प्रो. राजेश कुमार (काल्पनिक) का कहना है कि ऐसी परियोजनाएं जीडीपी में 5-7% योगदान दे सकती हैं, अगर सही तरीके से लागू हों।
आगे की राह
निरीक्षण में अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी तीरथपाल सिंह, सीपीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता और स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कृष्णा चमोला जैसे अधिकारी मौजूद थे। डीएम की सख्ती से उम्मीद है कि प्रोजेक्ट अब तेजी पकड़ेगा। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो जून 2026 तक देहरादून को एक आधुनिक, हरा-भरा भवन मिलेगा, जो अन्य शहरों के लिए मिसाल बनेगा।
