देहरादून : आम आदमी पार्टी (AAP) ने साफ कह दिया है कि उत्तराखंड की जनता इस वक्त जिस मुश्किल दौर से गुजर रही है, उसमें पार्टी देवभूमि के साथ पूरी ताकत से खड़ी है। AAP ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि उत्तराखंड के हित में बहुत जल्द एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया जाएगा।
25 साल से चल रहा है भाजपा-कांग्रेस का गठजोड़
पिछले 25 साल से उत्तराखंड में भाजपा और कांग्रेस मिलकर बारी-बारी से सत्ता लूट रही हैं। इन सालों में देवभूमि ने जो देखा वो दिल दहला देने वाला है – अवैध खनन, अवैध निर्माण, भयंकर भ्रष्टाचार, सरकारी गुंडागर्दी, बिगड़ता कानून-व्यवस्था, महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार, चारों तरफ ट्रैफिक जाम, प्रदूषण, बिजली की किल्लत, महंगाई और बेरोजगारी का कहर। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह चरमरा चुकी हैं।
केदार-बद्री तक पहुँचा ओवर टूरिज्म का कहर
उत्तराखंड के पवित्र धामों पर ओवर टूरिज्म (Over Tourism) ने हमला बोल दिया है। कुछ लोग तो ‘पार्टी टूरिज्म’ के नाम पर देवस्थलों की पवित्रता को तार-तार कर रहे हैं। आम उत्तराखंडी आज डर, असुरक्षा और प्रताड़ना के साये में जीने को मजबूर है। जो भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसे धमकियां मिलती हैं, हमले होते हैं, उसकी जिंदगी नरक बना दी जाती है।
AAP खड़ी है उत्तराखंड की संप्रभुता के साथ
आम आदमी पार्टी (AAP) ने साफ कहा है कि वो उत्तराखंड की संप्रभुता के साथ पूरी मजबूती से खड़ी है। पार्टी उन सभी क्षेत्रीय दलों, संगठनों और मोर्चों के साथ है जो भाजपा-कांग्रेस के इस गुंडाराज के खिलाफ बेखौफ लड़ रहे हैं। AAP पहले से ही गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने और उत्तराखंड के लिए Fifth Schedule की मांग जोर-शोर से उठा रही है।
अब समय आ गया है – करो या मरो
AAP का कहना है कि अब वक्त आ गया है कि उत्तराखंड अपने जल, जंगल और जलवायु की रक्षा के लिए डटकर खड़ा हो। क्योंकि मौजूदा सरकार जनता की नहीं, माफिया की रखैल बन चुकी है। पहले लोगों के पास दो ही रास्ते थे – या तो जंगल में शरण लो या सीधा संघर्ष करो। पहले लोग जंगलों की शांति चुनते थे, लेकिन अब धामी सरकार ने जंगल तक में गुंडाराज फैला दिया है।
धामी राज में जनता को शहरों की भीड़भाड़ से ज्यादा जंगलों का एकांत सम्मानजनक लगने लगा है। क्योंकि सरकार भले ही जनता से प्यार न करे, लेकिन वहां प्रकृति का प्यार तो अभी जिंदा है।
आम आदमी पार्टी (AAP) ने ऐलान किया है कि उत्तराखंड के हित में बहुत जल्द एक बड़ा फैसला आने वाला है। अब देखना ये है कि ये फैसला देवभूमि के लिए गेम-चेंजर साबित होता है या नहीं।
