---Advertisement---

Chamoli : चमोली में खेत में मिला नवजात का कटा सिर, 30 घंटे बाद भी धड़ गायब

By: Sansar Live Team

On: Sunday, November 30, 2025 1:11 PM

Google News
Follow Us
---Advertisement---

Chamoli : उत्तराखंड के चमोली जिले में एक ऐसी घटना घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। देवाल ब्लॉक के हाट कल्याणी गांव के पास एक खेत में शनिवार को एक नवजात शिशु का कटा हुआ सिर मिला। यह शिशु महज 1 से 5 दिन का रहा होगा। अब तक न तो धड़ मिला है और न ही यह पता चल सका है कि यह सिर खेत तक कैसे पहुंचा।

घटना कैसे सामने आई?

29 नवंबर की दोपहर गांव के महिपाल सिंह अपनी गौशाला के पास खेत में काम कर रहे थे। अचानक उनकी नजर एक प्लास्टिक में लिपटे छोटे से सिर पर पड़ी। सदमे में आए महिपाल ने तुरंत गांव के चौकीदार हीरा राम को बताया। इसके बाद सूचना थराली थाने पहुंची और पुलिस मौके पर पहुंच गई।

पुलिस की अब तक की जांच क्या कहती है?

  • पुलिस ने सिर को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
  • रविवार को कर्णप्रयाग के सीओ त्रिवेंद्र सिंह राणा खुद डॉग स्क्वायड लेकर पहुंचे।
  • करीब दो घंटे तक डॉग स्क्वायड ने आसपास के खेतों, जंगलों और नालों की तलाशी ली, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला।

चमोली के एसपी सुरजीत सिंह पंवार ने भी मामले को गंभीरता से लिया और देवाल चौकी इंचार्ज की छुट्टी रद्द कर तुरंत ड्यूटी जॉइन करने के आदेश दिए।
सीओ त्रिवेंद्र सिंह राणा ने मीडिया से कहा, “हम हर संभावित कोण से जांच कर रहे हैं। नवजात का डीएनए सैंपल सुरक्षित रखा गया है। फॉरेंसिक विशेषज्ञों और डॉक्टरों से भी सलाह ली जा रही है। बहुत जल्द इस रहस्य से पर्दा उठ जाएगा।”

ऐसा क्यों होता है? विशेषज्ञ क्या कहते हैं

मनोचिकित्सक और बाल अधिकार विशेषज्ञों के अनुसार उत्तराखंड के दूरदराज़ पहाड़ी इलाकों में अभी भी लिंग भेदभाव, अवैध संबंधों का डर और गरीबी के कारण कुछ परिवार नवजातों को मार देने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। ज्यादातर मामलों में शव को जंगल या नदी में फेंक दिया जाता है, ताकि सबूत मिट जाएं।

हालांकि जानवरों द्वारा शव को खींचकर अलग-अलग जगह ले जाने की आशंका भी पूरी तरह खारिज नहीं की जा सकती। फॉरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. आर.एस. नेगी (काल्पनिक नाम) कहते हैं, “पहाड़ों में लोमड़ी, सियार और जंगली कुत्ते शव को काफी दूर तक घसीट ले जाते हैं। इसलिए धड़ किलोमीटरों दूर भी हो सकता है।”

समाज और प्रशासन के लिए यह घटना क्यों अहम क्यों है?

  • यह घटना महिला सुरक्षा, लिंग अनुपात और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को फिर से उजागर करती है।
  • उत्तराखंड में पिछले 5 साल में नवजात शिशु हत्या या परित्याग के 20 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
  • कई बार गर्भपात की गोलियां लेने के बाद घर में ही बच्चे को जन्म दे दिया जाता है और फिर डर के मारे मार दिया जाता है।

आगे क्या हो सकता है?

पुलिस अब आसपास के सभी गांवों में गर्भवती महिलाओं और हाल में प्रसव करने वाली महिलाओं की सूची खंगाल रही है। अस्पतालों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से भी जानकारी ली जा रही है। डीएनए मैचिंग के जरिए जल्द ही बच्चे के माता-पिता तक पहुंचने की उम्मीद है।

ऐसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि पहाड़ों में अभी भी बहुत कुछ बदलना बाकी है – शिक्षा, जागरूकता और कानूनी सख्ती के साथ-साथ मानवीय संवेदना भी।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Leave a Comment