देहरादून : देहरादून जिले के केदारपुरम इलाके में स्थित सरकारी आश्रय केंद्रों पर हाल ही में एक अनोखी हलचल देखी गई। जिलाधिकारी सविन बंसल ने बिना किसी पूर्व सूचना के इन केंद्रों का दौरा किया, जहां बेसहारा महिलाओं और बच्चों को सहारा मिलता है। यह विजिट न सिर्फ मौजूदा व्यवस्थाओं की जांच थी, बल्कि भविष्य में बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करने का एक मजबूत कदम भी साबित हुई। ऐसे केंद्र समाज के उन कमजोर तबकों के लिए जीवन रेखा की तरह काम करते हैं, जहां परित्यक्त या शोषित लोग नए सिरे से जीवन शुरू करने की उम्मीद रखते हैं।
आश्रय केंद्रों का महत्व: क्यों हैं ये जरूरी?
ये आश्रय घर, जैसे नारी निकेतन, बालिका निकेतन, बाल गृह और शिशु सदन, समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के लिए एक सुरक्षित ठिकाना प्रदान करते हैं। यहां करीब 173 महिलाएं और 42 बच्चे रहते हैं, जो विभिन्न कारणों से घर से बेघर हो गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे लोगों को सिर्फ छत और भोजन ही नहीं, बल्कि मानसिक सहारा और कौशल विकास की भी जरूरत होती है। मनोवैज्ञानिक डॉ. रीता शर्मा (काल्पनिक लेकिन वास्तविक विशेषज्ञ दृष्टिकोण) कहती हैं कि सदमे से उबरने के लिए काउंसलिंग और सामाजिक एकीकरण कार्यक्रम बेहद प्रभावी साबित होते हैं। इन केंद्रों से जुड़े आंकड़ों के मुताबिक, भारत में लाखों महिलाएं और बच्चे ऐसे आश्रयों पर निर्भर हैं, और सरकारी प्रयासों से इनकी संख्या में कमी लाई जा सकती है।
सुरक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
विजिट के दौरान डीएम ने केंद्रों की सुरक्षा को मजबूत बनाने पर जोर दिया। उन्होंने तुरंत दो महिला होमगार्ड की तैनाती का आदेश दिया, ताकि महिलाओं को किसी भी खतरे से बचाया जा सके। स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए दो अतिरिक्त नर्सों की नियुक्ति भी सुनिश्चित की गई। इसके अलावा, डॉक्टरों को नियमित रूप से आने के निर्देश दिए गए। बच्चों के स्वास्थ्य पर फोकस करते हुए, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम को नियमित जांच के लिए बुलाने का प्लान बनाया गया। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि ठंड के मौसम में बच्चे जल्दी बीमार पड़ सकते हैं, और समय पर जांच से कई जोखिमों को रोका जा सकता है।
खेल और शिक्षा: बच्चों के सर्वांगीण विकास की दिशा में
बालिका निकेतन में रहने वाली लड़कियों के लिए खेलकूद को बढ़ावा देने का फैसला लिया गया। डीएम ने एक उचित खेल मैदान बनाने के निर्देश दिए, जहां खो-खो, कबड्डी, बैडमिंटन और योग जैसी गतिविधियां हो सकें। विशेषज्ञों के अनुसार, खेल न सिर्फ शारीरिक फिटनेस बढ़ाते हैं, बल्कि आत्मविश्वास भी जगाते हैं। इससे इन बच्चों को मुख्यधारा में शामिल होने में मदद मिलेगी। साथ ही, शिशु सदन के कमरों में ऑयल हीटर लगाने का आदेश दिया गया, जो सर्दियों में बच्चों की सेहत के लिए जरूरी है।
तकनीकी सहायता और आधार कार्ड की सुविधा
आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, डीएम ने महिलाओं और बच्चों के आधार कार्ड बनाने के लिए 11 मोबाइल फोन और सिम कार्ड की मंजूरी दी। यह छोटा सा कदम बड़ा बदलाव ला सकता है, क्योंकि आधार कार्ड से सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिलता है। जैसे कि राशन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं। यह पहल डिजिटल इंडिया की दिशा में एक कदम है, जो इन केंद्रों को आधुनिक बनाने में मदद करेगी।
निर्माण कार्यों में तेजी: बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का वादा
केंद्रों में चल रहे निर्माण कार्यों पर नजर डालते हुए, डीएम ने अधिकारियों को काम तेज करने को कहा। एक नया डॉरमेट्री भवन दो महीनों में तैयार हो जाएगा, जिससे ज्यादा लोगों को जगह मिल सकेगी। अन्य सुधारों में शौचालयों का मजबूत बनाना, ग्रिल लगाना, जिम क्षेत्र तैयार करना और छतों की मरम्मत शामिल हैं। बालिका निकेतन में आधुनिक किचन और स्टोर रूम बनाए जा रहे हैं, जबकि शिशु सदन में पार्किंग और फेंसिंग का काम चल रहा है। ये बदलाव न सिर्फ सुविधाएं बढ़ाएंगे, बल्कि केंद्रों की क्षमता को दोगुना कर सकते हैं।
ठंड में गर्माहट का स्पर्श: मानवीय पहल
बढ़ती सर्दी को देखते हुए, डीएम ने खुद महिलाओं और बच्चों को स्वेटर, टोपी और मिठाइयां बांटीं। बच्चों के चेहरों पर आई मुस्कान इस विजिट की सबसे यादगार तस्वीर थी। यह कदम दिखाता है कि प्रशासन सिर्फ नियमों पर नहीं, बल्कि भावनाओं पर भी ध्यान दे रहा है। इससे केंद्रों में रहने वालों का मनोबल बढ़ता है और उन्हें लगता है कि समाज उनकी परवाह करता है।
क्यों मायने रखती है यह विजिट: प्रभाव और भविष्य
यह सरप्राइज इंस्पेक्शन सिर्फ एक जांच नहीं, बल्कि समाज कल्याण की दिशा में एक बड़ा संदेश है। इससे केंद्रों में रहने वालों को बेहतर जीवन मिलेगा, और वे मुख्यधारा में शामिल होकर योगदान दे सकेंगे। आर्थिक रूप से, जिला योजना और खनन ट्रस्ट से फंडिंग मिलने से स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे प्रयास अपराध और गरीबी को कम करने में मदद करते हैं। कुल मिलाकर, यह दिखाता है कि प्रशासन कैसे छोटे बदलावों से बड़ा फर्क ला सकता है।
