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Uttarakhand : उत्तराखंड में पर्यटन को मिला बड़ा बूस्ट, केंद्र ने खर्च किए 1200 करोड़

By: Sansar Live Team

On: Wednesday, December 3, 2025 4:42 PM

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देहरादून : लोकसभा के शीतकालीन सत्र में उत्तराखंड के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट ने एक अहम सवाल उठाया। उन्होंने पर्यटन मंत्रालय से पूछा कि पर्वतीय क्षेत्रों में पर्यटन सर्किट विकसित करने के लिए क्या योजनाएँ चल रही हैं और कितना पैसा दिया गया है। जवाब में केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने जो आँकड़े पेश किए, वे उत्तराखंड के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी लेकर आए।

स्वदेश दर्शन, प्रसाद और नई योजनाओं से पहाड़ों में बदलाव

भारत सरकार ने पहाड़ी राज्यों के लिए स्वदेश दर्शन योजना के तहत 76 बड़ी परियोजनाएँ मंजूर की थीं। इसके बाद स्वदेश दर्शन 2.0 और प्रसाद योजना (तीर्थ स्थलों का कायाकल्प) भी शुरू हुई। अब 2024-25 में एक नई स्कीम “विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल विकास” के तहत पूरे देश के 23 राज्यों में 40 परियोजनाओं के लिए 3,295 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इनमें उत्तराखंड के कई प्रोजेक्ट भी शामिल हैं।

उत्तराखंड को अब तक कितना मिला?

पिछले दस साल में उत्तराखंड के धार्मिक और एडवेंचर पर्यटन को मजबूत करने के लिए केंद्र ने सैकड़ों करोड़ रुपये दिए हैं। कुछ बड़े प्रोजेक्ट इस प्रकार हैं:

  • केदारनाथ का एकीकृत विकास 34.77 करोड़
  • बद्रीनाथ में तीर्थयात्रियों की सुविधाएँ 56.15 करोड़ (38.38 करोड़ जारी)
  • गंगोत्री-यमुनोत्री सुविधाएँ 54.36 करोड़ (10.5 करोड़ जारी)
  • ऋषिकेश में राफ्टिंग बेस स्टेशन 100 करोड़ (66 करोड़ मंजूर)
  • कुमाऊं का हेरिटेज सर्किट (कटारमल, जागेश्वर, बैजनाथ आदि) 76.32 करोड़ (68.91 करोड़ जारी)
  • टिहरी झील के आसपास एडवेंचर स्पोर्ट्स 59.7 करोड़ (पूरी राशि जारी)
  • चंपावत में टी गार्डन टूरिज्म, पिथौरागढ़ में गूंजी ग्रामीण क्लस्टर, माणा और कैंची धाम का विकास, जागेश्वर उत्सव मैदान जैसे छोटे-बड़े कई प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं।
  • कुल मिलाकर हिमालयी राज्यों में पर्यटन सर्किट के लिए 1,726.74 करोड़ रुपये मंजूर हुए हैं, जिनमें से 1,200.46 करोड़ रुपये पहले ही जारी हो चुके हैं।

ये पैसा क्यों मायने रखता है?

पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि चारधाम यात्रा और एडवेंचर टूरिज्म उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। हर साल 4-5 करोड़ श्रद्धालु और सैलानी आते हैं। अगर सड़कें, पार्किंग, होमस्टे, ट्रेकिंग ट्रेल्स और साफ-सफाई बेहतर हो गई तो न सिर्फ यात्रा आसान होगी बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। एक अनुमान के मुताबिक अच्छी सुविधाओं से पर्यटक यहाँ 2-3 दिन ज्यादा रुक सकते हैं, जिससे स्थानीय आय दोगुनी हो सकती है।

आगे क्या होने वाला है?

सरकार अब गाँवों को भी पर्यटन से जोड़ रही है। वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के तहत सीमा से सटे माणा, नीति-माणा जैसे गाँवों में होमस्टे, ट्रेक और कल्चरल टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। ऋषिकेश को विश्व स्तर का राफ्टिंग हब बनाने की योजना भी तेजी से आगे बढ़ रही है।

संक्षेप में कहें तो पहाड़ अब सिर्फ तीर्थस्थल नहीं, बल्कि साल भर चलने वाला पर्यटन हब बनने की राह पर हैं। ये बदलाव उत्तराखंड के युवाओं, महिलाओं और छोटे कारोबारियों के लिए नई उम्मीद लेकर आया है।

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