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RBI ECL Rule : लोन लेने वालों सावधान! 2027 से ECL लागू, ब्याज दरें छू सकती हैं आसमान

By: Sansar Live Team

On: Monday, October 6, 2025 9:07 AM

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RBI ECL Rule : देश की रेगुलेटरी बैंक RBI ने हाल ही में प्राइवेट बैंकों के लिए एक बड़ा बदलाव किया है। अब ECL (Expected Credit Loss) नियम 1 अप्रैल 2027 से लागू होंगे। साथ ही, बैंकों और उनकी जुड़ी कंपनियों के बीच बिजनेस ओवरलैप पर लगे प्रस्तावित बैन को भी हटा दिया गया है।

RBI की ओर से ECL (Expected Credit Loss) पर लिया गया यह फैसला चर्चा का केंद्र बन गया है। आइए जानते हैं कि इसका प्राइवेट बैंकों पर क्या असर पड़ेगा और क्या वाकई लोन लेना महंगा हो जाएगा।

ECL (Expected Credit Loss) होता क्या है?

ECL (Expected Credit Loss) के असर को समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि आखिर ये ECL (Expected Credit Loss) है क्या। ECL (Expected Credit Loss) का पूरा नाम Expected Credit Loss है। इसके जरिए बैंक आने वाले समय में होने वाले नुकसान का अनुमान लगाते हैं। मतलब, बैंक ये अंदाजा लगाते हैं कि उन्हें कितना नुकसान हो सकता है, यानी कितने लोन खराब हो सकते हैं।

पहले क्या होता था? ज्यादातर बैंक लोन खराब होने के बाद ही प्रोविजन बनाते थे। लेकिन अब नए ECL (Expected Credit Loss) नियम के तहत बैंकों को पहले से ही ये प्लान तैयार करना होगा कि लोन की भरपाई न होने पर कितना नुकसान हो सकता है।

क्या लोन महंगा हो जाएगा?

अगर बैंकों को नुकसान के लिए पहले से फंड जुटाना पड़ेगा, तो हो सकता है कि वे ब्याज दरें बढ़ा दें। ब्याज दरें बढ़ीं तो लोन महंगा होने का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन ये बदलाव सभी बैंकों पर एक समान नहीं पड़ेगा।

ET की रिपोर्ट के मुताबिक, देश के बड़े प्राइवेट बैंक जैसे HDFC और ICICI पर इसका ज्यादा असर नहीं होगा। बल्कि कई मामलों में फायदा भी हो सकता है। ECL (Expected Credit Loss) प्रावधान प्रणाली 1 अप्रैल 2027 से लागू होगी, जो बैंकों को संभावित नुकसान के लिए पहले से प्रावधान करने को कहती है।

बड़े निजी बैंक जैसे HDFC, ICICI और Axis के पास पहले से ही अतिरिक्त फ्लोटिंग और इमरजेंसी प्रावधान हैं, इसलिए ये बैंक इस बदलाव से कम प्रभावित होंगे। मिसाल के तौर पर, HDFC के पास 36,600 करोड़ रुपये और ICICI के पास 13,100 करोड़ रुपये का प्रावधान मौजूद है।

ECL (Expected Credit Loss) में बैंकों को पुराने क्रेडिट नुकसान के आधार पर प्रावधान करना होगा, जिससे अतीत में ज्यादा NPA वाले बैंक ज्यादा प्रभावित होंगे। RBI ने असर को कम करने के लिए 2031 तक का समय भी दिया है।

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