RBI : अगर आप EMI (समान मासिक किस्त) पर फोन या कोई गैजेट लेते हैं और किस्त समय पर नहीं भरते, तो जल्द ही आपका स्मार्टफोन रिमोटली लॉक हो सकता है। जी हां, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 1 अक्टूबर को मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक के बाद ये चौंकाने वाली बात कही।
उन्होंने बताया कि RBI एक ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रहा है, जिसमें लेंडर्स को EMI डिफॉल्ट की स्थिति में स्मार्टफोन को दूर से लॉक करने की छूट मिल सके। जब पूछा गया कि क्या RBI EMI स्किप होने पर किस्तों से खरीदे गए फोन को लॉक करने की इजाजत देगा, तो गवर्नर साहब ने साफ कहा कि ये मामला अभी विचाराधीन है।
दोनों तरफ- कंज्यूमर और लेंडर्स- की दलीलें हैं, और इन पर गंभीरता से सोच रही है RBI। उनका मुख्य फोकस कंज्यूमर्स राइट्स (कंज्यूमर अधिकार) और डेटा प्राइवेसी की हिफाजत करना है। कंज्यूमर्स राइट्स RBI के लिए सबसे ऊपर हैं, लेकिन लेंडर्स के हितों का भी ख्याल रखना जरूरी है।
चल रही है इस पर चर्चा
इसी सवाल के जवाब में RBI के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा कि कंज्यूमर्स राइट्स, उनकी जरूरतें, डेटा गोपनीयता और लेंडर्स की डिमांड्स के बैलेंस को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों की बातें सुनी जा रही हैं। इसलिए RBI इस इश्यू की गहराई से जांच कर रहा है, पक्ष-विपक्ष का आकलन करेगा और सही समय पर फैसला लेगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट में एक हालिया स्टडी का हवाला देते हुए बताया गया कि भारत में स्मार्टफोन समेत करीब एक-तिहाई कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स EMI पर खरीदे जाते हैं।
उसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि पिछले साल ही RBI ने लेंडर्स को डिफॉल्ट करने वाले कस्टमर्स के मोबाइल फोन लॉक करने से सख्ती से रोका था। अब EMI डिफॉल्ट और स्मार्टफोन लॉक का ये नया ट्विस्ट चर्चा में है, जो कंज्यूमर्स को सोचने पर मजबूर कर रहा है।
इस मामले पर क्या कहते हैं जानकार?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर RBI EMI स्किप की सिचुएशन में स्मार्टफोन लॉक करने की मंजूरी देता है, तो इसके लिए लोन एग्रीमेंट के टाइम ही बॉरोअर से क्लियर कंसेंट लेना जरूरी होगा। उन्होंने बताया कि लोन साइन करते वक्त ‘डिवाइस लॉक ऐप’ इंस्टॉल करवाकर ये तरीका लागू किया जा सकता है। कुछ EMI मिस होने पर, बकाया क्लियर होने तक डिवाइस को टेम्पररी तरीके से डिसेबल रखा जा सकता है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट में ये भी जिक्र था कि RBI कुछ महीनों में अपनी ‘फेयर प्रैक्टिस कोड’ को अपडेट कर सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मौजूदा लॉ इस प्रैक्टिस को साफ तौर पर अलाउ नहीं करता, जिससे ये रेगुलेटरी अनसर्टेंटी के घेरे में फंस गया है। EMI डिफॉल्ट और स्मार्टफोन लॉक को बैलेंस करने के लिए RBI को सावधानी बरतनी होगी, ताकि कंज्यूमर्स राइट्स का कोई उल्लंघन न हो।
आरबीआई इस कदम पर विचार क्यों कर रहा है?
कई रिपोर्ट्स में साफ है कि स्मार्टफोन और दूसरे कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स पर छोटे-मोटे लोन की डिफॉल्ट रेट काफी हाई है। EMI डिफॉल्ट को कंट्रोल करने के लिए स्मार्टफोन लॉक का ये ऑप्शन शुरू करने से छोटे कंज्यूमर लोन में डिफॉल्ट रेट को कम किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स का यकीन है कि लेंडर्स को लोन चूक पर डिवाइस लॉक करने का हक मिला तो जानबूझकर EMI स्किप करने वालों को झटका लगेगा।
ये कदम स्मार्टफोन लॉक को एक स्मार्ट तरीके से यूज करके डिफॉल्ट को हतोत्साहित कर सकता है, लेकिन कंज्यूमर्स राइट्स को प्रोटेक्ट करना भी उतना ही जरूरी है। RBI का ये सोचना साफ दिखाता है कि वो EMI डिफॉल्ट की बढ़ती समस्या से जूझ रही है, और स्मार्टफोन लॉक जैसे इनोवेटिव सॉल्यूशन पर विचार कर रही है।
