Dehradun News : सहारनपुर चौक से लालपुल तक सड़क बनी खतरा, व्यापारियों ने उठाई आवाज़

Dehradun News : शहर के दिल में बसी वो सड़कें, जो कभी व्यापारियों की जान रही हों, आज उसी तरह की जंग खा रही हैं जैसे कोई पुरानी याद। सहारनपुर चौक से लाल पुल तक का वो रास्ता, जहां रोज सैकड़ों गाड़ियां दौड़ती हैं, वहां की हालत देखकर कोई भी सिर पीट ले। गड्ढों से भरी, धूल उड़ाती और दुर्घटनाओं को न्योता देने वाली ये सड़क अब स्थानीय व्यापारियों के लिए सिरदर्द बन चुकी है।

आज दून वैली महानगर उद्योग व्यापार मंडल के पटेल नगर इकाई के अध्यक्ष अमरदीप सिंह, जिन्हें सब प्यार से बिंकू भैया कहते हैं, उनके ऑफिस में एक मीटिंग हुई। वहां जुटे व्यापारियों ने अपनी व्यथा खोलकर रख दी। बातें हुईं उन छोटी-छोटी दुर्घटनाओं की, जो रोज हो रही हैं, और उस धूल की, जो दुकानों में घुसकर सामान खराब कर देती है।

ये कोई नई शिकायत नहीं है। पिछले कई महीनों से ये समस्या सुलग रही है। मानसून के बाद सड़कें और भी खराब हो गईं, और अब सितंबर का ये मौसम आते ही ट्रैफिक का दबाव बढ़ गया। व्यापारियों का कहना है कि ग्राहक आते हैं, लेकिन गड्ढों से बचते-बचते थक जाते हैं। एक दुकानदार ने बताया, “साहब, कल ही एक बाइक सवार फिसल गया, चोट तो नहीं लगी, लेकिन डर इतना लगा कि रात भर नींद नहीं आई।”

अमरदीप सिंह ने तुरंत महानगर अध्यक्ष पंकज मैसोंन को फोन घुमा दिया। साथ ही, युवा व्यापारी सिद्धार्थ गुप्ता ने सड़क की तस्वीरें और वीडियो भेजे, ताकि हालत का अंदाजा लग जाए। मैसोंन ने फोन पर ही आश्वासन दिया कि संबंधित अधिकारियों से बात हो जाएगी, और जल्द से जल्द मरम्मत का काम शुरू करवाया जाएगा। “ये समस्या पुरानी है, लेकिन अब हम इसे नजरअंदाज नहीं करेंगे। व्यापारियों की आवाज हमारी प्राथमिकता है,” उन्होंने कहा।

व्यापारियों की एकजुटता 

ऑफिस में जुटे लोग सिर्फ शिकायत करने नहीं आए थे, बल्कि समाधान की उम्मीद लेकर। सुमित कुमार ने कहा कि धूल से निपटने के लिए अस्थायी तौर पर पानी छिड़काव का इंतजाम तो हो सकता है, लेकिन असली जरूरत तो सड़क को ठीक करने की है। दीपक चांदना ने जोड़ा कि ये रास्ता पटेल नगर से रेलवे स्टेशन तक का लिंक है, और अगर ये सुधर जाए तो पूरे इलाके का ट्रैफिक आसान हो जाएगा।

पवन मेहंदीरत्ता, बलजीत सिंह, प्रवीण माटा, निखिल वर्मा, राहुल माटा, दिवेश माटा, सार्थक गुप्ता, शिवांश गुप्ता, सेबी बग्गा, गुरनीत गुलाटी और खरनजीत सिंह जैसे नामों ने अपनी-अपनी दुकानों की कहानी सुनाई। कोई बोला कि ग्राहक कम हो गए हैं, तो कोई बोला कि डिलीवरी वाले हिचकिचाते हैं। ये मीटिंग महज एक घंटे की थी, लेकिन उसमें शहर की सड़कों की सच्चाई झलक रही थी।

देहरादून जैसे तेजी से बढ़ते शहर में सड़कों की ये दुर्दशा कोई पहली बार नहीं। याद कीजिए, कुछ महीने पहले घंटाघर से सहारनपुर चौक तक की मॉडल रोड को स्मार्ट बनाने का प्लान आया था। 40 करोड़ की लागत से डक्ट बिछाने, बिजली-पानी की लाइनों को व्यवस्थित करने की बात हुई। लेकिन सहारनपुर चौक से लाल पुल तक का ये हिस्सा अभी भी इंतजार में है।

स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ब्रिज एंड रूफ कंपनी सितंबर से काम शुरू करने वाली थी, लेकिन देरी हो रही है। वहीं, दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे का काम दिसंबर 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है, जो सहारनपुर बाईपास से गुजरेगा। लेकिन शहर के अंदरूनी रास्तों को भूलना नहीं चाहिए। ये छोटी सड़कें ही तो शहर की धमनियां हैं। अगर इन्हें नजरअंदाज किया गया, तो बड़ा एक्सप्रेसवे भी फायदा नहीं पहुंचा पाएगा।

आगे की राह 

पंकज मैसोंन का वादा अच्छा लगा, लेकिन व्यापारी जानते हैं कि सरकारी मशीनरी की रफ्तार धीमी होती है। अमरदीप सिंह ने कहा, “हम इंतजार करेंगे, लेकिन अगर एक हफ्ते में कोई अपडेट न आया तो सड़क पर उतरेंगे।”

ये आवाज सिर्फ पटेल नगर की नहीं, बल्कि पूरे देहरादून की है। शहरवासी चाहते हैं कि सड़कें न सिर्फ मरम्मत की जाएं, बल्कि मेंटेनेंस का सिस्टम बने। धूल से निपटने के लिए रेगुलर वॉटरिंग, और गड्ढों को भरने के लिए क्विक रिस्पॉन्स टीम। ये छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं।

अंत में, ये मुद्दा सिर्फ सड़क का नहीं, बल्कि शहर के विकास का है। जब व्यापारी परेशान होंगे, तो अर्थव्यवस्था कैसे चलेगी? उम्मीद है कि आश्वासन शब्दों तक सीमित न रहे, और जल्द ही वो दिन आए जब सहारनपुर चौक से लाल पुल तक का सफर एक सुकून भरा अनुभव बने। तब तक, सावधानी बरतें, और आवाज उठाते रहें।

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