Almora News : अल्मोड़ा की खूबसूरत वादियों में अब एक नई सुबह की शुरुआत हो रही है। पंडित हरगोविंद पंत जिला चिकित्सालय में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी मशीन की स्थापना ने न केवल चिकित्सा इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की दिशा को भी बदल दिया है।
यह आधुनिक तकनीक, जिसे आम बोलचाल में ‘दूरबीन विधि’ कहा जाता है, अब अल्मोड़ा के लोगों के लिए वरदान बनकर आई है। इस क्रांतिकारी कदम के पीछे सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे की दो साल की अथक मेहनत और जुनून है, जिन्होंने न केवल सपना देखा, बल्कि उसे हकीकत में भी बदला।
लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एक ऐसी तकनीक है, जो बिना बड़े चीर-फाड़ के, छोटे चीरे के जरिए ऑपरेशन करने की सुविधा देती है। पित्ताशय की पथरी, अपेंडिक्स, या हर्निया जैसे ऑपरेशन अब कम दर्द, कम समय और कम खर्च में संभव होंगे। पहले अल्मोड़ा के मरीजों को ऐसी सुविधाओं के लिए देहरादून, हल्द्वानी या बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता था।
इस दौरान न केवल आर्थिक बोझ बढ़ता था, बल्कि मानसिक तनाव और अनिश्चितता भी साथ चलती थी। अब यह सुविधा स्थानीय अस्पताल में उपलब्ध होने से मरीजों को अपने ही शहर में विश्वस्तरीय इलाज मिलेगा। यह न केवल समय और पैसे की बचत है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के लिए एक नई उम्मीद का प्रतीक भी है।
संजय पाण्डे की यह उपलब्धि किसी व्यक्तिगत जीत से कहीं बढ़कर है। उन्होंने दो साल तक शासन, स्वास्थ्य विभाग, और जिला प्रशासन के साथ लगातार संवाद बनाए रखा। विशेषज्ञों से सलाह ली, जनता की समस्याओं को आवाज दी, और हर चुनौती को पार करते हुए इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाया।
उनकी मेहनत रंग लाई, और आज अल्मोड़ा का जिला अस्पताल एक ऐसी सुविधा से लैस है, जो पहले केवल बड़े मेट्रो शहरों तक सीमित थी। संजय ने इस उपलब्धि का श्रेय उत्तराखंड शासन, स्वास्थ्य विभाग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश चंद्र पंत, और प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एच.सी. गड़कोटी को भी दिया।
उनके शब्दों में, “यह मशीन केवल एक उपकरण नहीं, बल्कि अल्मोड़ा के लोगों के विश्वास और स्वास्थ्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”
हालांकि, इस सुविधा को पूरी तरह शुरू करने के लिए कुछ तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं अभी बाकी हैं, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही यह आम जनता के लिए उपलब्ध होगी। यह पहल न केवल तकनीकी प्रगति का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों और प्रयास सच्चे, तो पहाड़ों की कठिन राहों पर भी बदलाव की बयार बहाई जा सकती है। अल्मोड़ा के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है, जो न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा।