Almora : अल्मोड़ा के नगर और आसपास के ग्रामीण इलाकों में तेंदुओं और बंदरों की बढ़ती गतिविधियों ने स्थानीय लोगों की नींद उड़ा रखी है। इन वन्यजीवों के हमलों से जनजीवन पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया।
उन्होंने प्रभागीय वनाधिकारी दीपक सिंह के साथ एक अहम बैठक की, जिसमें मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए ठोस और व्यावहारिक कदमों पर चर्चा हुई। इस बैठक में जनसुरक्षा, वन्यजीव प्रबंधन और प्रशासनिक जवाबदेही जैसे मुद्दों पर गहन मंथन हुआ, और एक बहुस्तरीय कार्ययोजना तैयार की गई।
तेंदुओं को पकड़ने में बाधा डालने वालों पर सख्ती की मांग
संजय पाण्डे ने बताया कि तेंदुओं को पकड़ने के लिए लगाए गए पिंजरों में कई बार कुछ लोग “पशु प्रेम” के नाम पर हस्तक्षेप करते हैं। इससे तेंदुआ पिंजरे तक पहुंचने के बावजूद फंस नहीं पाता, जिससे स्थानीय लोगों की जान जोखिम में पड़ती है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे लोगों से लिखित शपथ-पत्र लिया जाए, जिसमें वे यह स्वीकार करें कि तेंदुए के हमले से होने वाली किसी भी जनहानि की जिम्मेदारी उनकी होगी। प्रभागीय वनाधिकारी ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई और इसे लागू करने की दिशा में कदम उठाने का आश्वासन दिया।
बंदरों की समस्या
बंदरों की बढ़ती तादाद ने भी अल्मोड़ा के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। प्रभागीय वनाधिकारी दीपक सिंह ने खुलासा किया कि कुछ लोग बाहरी जिलों से ट्रकों में बंदरों को लाकर अल्मोड़ा के जंगलों में छोड़ रहे हैं। इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए वन विभाग ने कई कदम उठाए हैं। चेकपोस्टों पर भारी वाहनों की सघन जांच शुरू की गई है, सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे निगरानी हो रही है, और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर सभी चौकियों को सतर्क रहने को कहा गया है।
नगर निगम की निष्क्रियता पर सवाल
संजय पाण्डे ने नगर निगम की उदासीनता पर तीखी नाराजगी जताई। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री हेल्पलाइन (शिकायत संख्या CMHL-062025-8-767870) के जरिए उठाया था, लेकिन नगर निगम ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। पाण्डे ने कहा कि नगर निगम ने अपने चुनावी वादों में बंदर समस्या का समाधान करने का दावा किया था, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हुआ। उन्होंने जिलाधिकारी पर भी लोगों की समस्याओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया।
दीर्घकालिक समाधान के लिए फलदार वृक्षों का सुझाव
पाण्डे ने एक दूरदर्शी सुझाव देते हुए कहा कि जंगलों में बड़े पैमाने पर फलदार वृक्ष लगाए जाएं। इससे बंदर, तेंदुए और भालू जैसे वन्यजीवों को जंगल में ही पर्याप्त भोजन मिलेगा, और वे मानव बस्तियों की ओर नहीं आएंगे। इस कार्य में उद्यान विभाग की तकनीकी मदद जरूरी होगी। वनाधिकारी ने इस सुझाव की सराहना की और इसे दीर्घकालिक समाधान के रूप में लागू करने का वादा किया।
संजय पाण्डे का सख्त संदेश
पाण्डे ने दो टूक कहा, “यह सिर्फ वन विभाग या नगर निगम की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे समाज का दायित्व है। मैं केवल बातें नहीं कर रहा, बल्कि समाधान के लिए संकल्पित हूं। अगर लापरवाही जारी रही, तो मैं इस मुद्दे को शासन, न्यायालय और जनता के सामने ले जाऊंगा।”
राज्य सरकार की ओर से ठोस कदम
उत्तराखंड सरकार ने भी इस समस्या को गंभीरता से लिया है। 30 अप्रैल 2025 को वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में वन, ग्राम्य विकास, पंचायती राज, शहरी विकास और पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
इस बैठक में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बंदरों के हमलों और फसलों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को सख्ती से लागू करने का फैसला हुआ। शहरी विकास विभाग ने सभी नगर निकायों को इस SOP का पालन करने के निर्देश दिए हैं, ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।