‘3 साल बेमिसाल’ कार्यक्रम बना छात्रों के लिए परेशानी, लाउडस्पीकर के शोर में दी परीक्षा

अल्मोड़ा : उत्तराखंड सरकार ने अपने तीन साल पूरे होने की खुशी में अल्मोड़ा के हेमवती नंदन बहुगुणा स्टेडियम में ‘3 साल बेमिसाल’ नाम से एक भव्य आयोजन किया। लेकिन यह जश्न उस वक्त छात्रों के लिए सिरदर्द बन गया, जब पास के अल्मोड़ा इंटर कॉलेज में चल रही परीक्षा के दौरान लाउडस्पीकरों की तेज आवाज ने बच्चों का ध्यान भंग कर दिया।

जो छात्र अपने भविष्य को संवारने के लिए मेहनत कर रहे थे, उन्हें इस शोर ने परेशान कर दिया। आखिर एक तरफ सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने की बात करती है, तो दूसरी तरफ ऐसे आयोजन कैसे छात्रों के सपनों पर भारी पड़ सकते हैं?

शोर ने छीना छात्रों का सुकून

परीक्षा का समय हर छात्र के लिए बेहद अहम होता है। अल्मोड़ा इंटर कॉलेज के बच्चे भी शांत माहौल में पेपर देने की उम्मीद लेकर आए थे। लेकिन स्टेडियम से आ रही तेज आवाजों ने उनकी एकाग्रता को तोड़ दिया। कई छात्रों ने बताया कि लाउडस्पीकरों की वजह से वे सवालों को ठीक से समझ ही नहीं पाए, जिसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ सकता है। एक छात्र ने तो यह भी कहा, “हमारा भविष्य दांव पर है, और ये शोर हमें चैन से लिखने भी नहीं दे रहा।” ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन को पहले इसकी गंभीरता समझनी चाहिए थी?

सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाई आवाज

इस घटना से नाराज सामाजिक कार्यकर्ता और कॉलेज प्रबंधन समिति के सदस्य संजय पांडे ने प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाली। उनका कहना था कि जिला प्रशासन को इस आयोजन के लिए कोई दूसरी जगह चुननी चाहिए थी। “परीक्षा के दौरान इतना शोर करना छात्रों के भविष्य के साथ मजाक है। प्रशासन की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी,” उन्होंने गुस्से में कहा। संजय ने यह भी ऐलान किया कि वह इस मुद्दे को मुख्यमंत्री तक ले जाएंगे, ताकि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा न हो।

छात्रों के हक में मांगें तेज

संजय पांडे ने प्रशासन से यह भी मांग की कि इस परीक्षा में प्रभावित हुए छात्रों को पास करने का फैसला लिया जाए। उनका तर्क था कि बच्चों को प्रशासन की गलती की सजा क्यों मिले? वहीं, स्थानीय अभिभावकों ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि जब परीक्षा चल रही थी, तो इतने बड़े कार्यक्रम की इजाजत देना गैर-जिम्मेदाराना कदम था। लोगों का गुस्सा इस बात पर भी है कि क्या सरकार को बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा अपने जश्न की चिंता है?

भविष्य के लिए सबक जरूरी

इस पूरे मामले ने अल्मोड़ा में एक बहस छेड़ दी है। अभिभावक और छात्र अब प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं कि आखिर ऐसी चूक कैसे हुई? लोगों का कहना है कि भविष्य में परीक्षा केंद्रों के पास इस तरह के आयोजनों पर सख्त पाबंदी लगनी चाहिए। अगर सरकार चाहती है कि बच्चे पढ़ाई में आगे बढ़ें, तो उन्हें ऐसा माहौल देना होगा, जहां वे बिना किसी रुकावट के अपने सपनों को पूरा कर सकें। क्या यह घटना प्रशासन के लिए एक सबक बनेगी, या फिर यह सिर्फ एक और अनसुनी कहानी बनकर रह जाएगी?