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Dehradun : त्यूणी में गैस लीक से दो सगे भाइयों समेत 3 की मौत, बंद कमरा बना काल

By: Sansar Live Team

On: Monday, December 8, 2025 10:20 AM

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Dehradun : उत्तराखंड के देहरादून जिले से एक बेहद दुखद खबर आई है। त्यूणी तहसील के दूरदराज इलाके भूठ गांव में तीन युवा राजमिस्त्री एक साथ जिंदगी की जंग हार गए। ये सभी एक पुरानी सरकारी स्कूल बिल्डिंग के कमरे में रहते थे और रविवार सुबह जब दरवाजा नहीं खुला तो ग्रामीणों को शक हुआ। अंदर झांकते ही सब सन्न रह गए – तीनों बेहोश पड़े थे और कमरे में रसोई गैस की तेज बदबू फैली थी।

कौन थे ये तीनों युवक?

  • मरने वालों में दो सगे भाई और उनका एक साथी था।
  • प्रकाश (35 साल) और संजय (28 साल) – दोनों डिरनाड गांव के रहने वाले थे
  • संदीप (25 साल) – पट्यूड गांव का निवासी

तीनों कई महीनों से भूठ गांव में मकान बनाने और मरम्मत का काम कर रहे थे। मजदूरी करके परिवार चलाते थे और रात में इसी स्कूल की पुरानी बिल्डिंग के एक कमरे में सोते थे। ठंड से बचने के लिए कमरा बंद करके सोए थे, यही उनकी जिंदगी का आखिरी फैसला बन गया।

क्या हुआ उस रात?

नायब तहसीलदार सरदार सिंह ने बताया कि 7 दिसंबर को सुबह फोन आया कि कमरे से गैस की तेज गंध आ रही है और अंदर कोई हलचल नहीं है। राजस्व टीम मौके पर पहुंची तो खिड़की-दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी। तीनों युवकों के मुंह से झाग निकला हुआ था, जो गैस से दम घुटने का आम लक्षण होता है। मौके पर ही उनकी मौत हो चुकी थी।

शवों को पोस्टमार्टम के लिए त्यूणी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिया गया है। प्रारंभिक जांच में पुलिस को एलपीजी सिलेंडर से गैस लीकेज का शक है, लेकिन असल वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो पाएगी।

पहाड़ों में गैस लीक की घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं?

सर्दियों में उत्तराखंड के गांवों में ऐसी घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। पुराने सिलेंडर, खराब रेगुलेटर, बंद कमरे में सोना और रात में गैस चालू छोड़ देना – ये सब मिलकर खतरनाक साबित हो रहे हैं। कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन गैस मिलकर ऑक्सीजन की कमी पैदा कर देती है, जिससे इंसान सोते-सोते ही चला जाता है। ज्यादातर मामलों में सुबह तक किसी को पता भी नहीं चलता।

ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी और सस्ते-पुराने उपकरणों का इस्तेमाल इस तरह की त्रासदियों को न्योता दे रहा है।

परिवारों पर छाया मातम

प्रकाश और संजय के घर तो एक साथ दो-दो चिराग बुझ गए। छोटे-छोटे बच्चे हैं, जिनके सामने अब सिर्फ सवाल हैं। संदीप भी परिवार का इकलौता कमाने वाला था। तीनों गांवों में मातम पसरा हुआ है।

पुलिस और प्रशासन ने परिजनों को हर संभव मदद का भरोसा दिया है, लेकिन जो चले गए, वो फिर नहीं लौट सकते।

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